1948 कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम पारित हुआ है। 1 अक्टूबर 2006 से इस अधियम में 15 000 रु माह तक वेतन पाने वाले को लाभ पाने का अधिकार होगा । यह एक एकीकृत आवश्यकता आधारित सामाजिक बीमा योजना है कि ऐसी बीमारी, प्रसूति, अस्थायी या स्थायी रूप आकस्मिकताओं में श्रमिकों के हित शारीरिक विकलांगता, रोजगार या मजदूरी के नुकसान में जिसके परिणामस्वरूप चोट की वजह से मौत की रक्षा करेगी परिकल्पित क्षमता कमाई। 

ईएसआई केन्द्रीय सरकार अधिनियम के प्रचार के बाद. ईएसआई निगम की स्थापना की योजना के प्रशासन को. योजना, उसके बाद पहली बार 24 फ़रवरी 1952 को कानपुर और दिल्ली में कार्यान्वित किया गया था।  अधिनियम और मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के तहत अपने दायित्वों के नियोक्ताओं दोषमुक्तअधिनियम के तहत कर्मचारियों को लाभ प्रदान आईएलओ परंपराओं के अनुरूप भी है। अधिनियम भी श्रमिकों को काफी अच्छी चिकित्सा देखभाल की गारंटी देता है। 

राज बीमा अधिनियम का उद्देश्य कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना था सामाजिक सुरक्षा से तात्पर्य  बीमारी अयोग्यता, मर्त्यु जैसी प्रतिकूल परिस्थितयो में संगठन के माध्यम से उचित सहायता व  सहारा प्रदान करना  है। 

इस सुरक्षा से पारिवारिक सदस्यों को यह ज्ञात होता है कि  उनका ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियो में किसी प्रकार की आपत्ति  दुर्घटना नहीं होगी ।  उद्योगपति, केंद्रीय सरकार व् राज्य सरकार अनुदान के रूप में कर्मचारी राज्य बीमा  को धन देते हैं ।  इस राशि को कर्मचरियों हेतु खर्च किया जाता है।  कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम पूरे भारत  पर लागु किया गया है।  केंद्रीय सरकार द्वारा राज्यों को या उसके किसी अधिनियम के विभिन्न उपबंधों को लागु करने के अधिकार दिए गए है। 

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम का कार्यक्षेत्र - जिस जगह पर कम से कम 20 या इससे अधिक व्यक्ति  कार्यरत हों तथा कार्य बिजली के द्वारा संचलित होता हो वहाँ यह अधिनियम लागु होगा।  प्रत्येक राज्य इस अधिनियम को कहीं भी, कभी भी लागू  कर सकता है। जैसे -कृषि और उद्योग वाणिज्य व्यापारिक प्रतिष्ठान औद्योगिक प्रतिष्ठान आदि।  

कई राज्य सरकारों ने  निन्मलिखित श्रेणी के प्रतिष्ठानों में भी लागु किया है जैसे-

1. दुकानों, रेस्टोरेंट, सिनेमा, अख़बार एजेंसियों होटल आदि  जगहों पर जहाँ  20  या इससे अधिक कर्मचारी कार्य      करते हो वहां इस अधिनियम  को लागु किया है। 

2. ऐसे प्रतिष्ठान जहाँ बिजली का उपयोग होता हो और 20 कर्मचारी  तक काम करते हों वहाँ  किया जाता है।  जहाँ  बिजली का उपयोग न होता हो और 20  कर्मचारी कार्य करते हों वहां लागु किया जा सकता है। इस अधिनियम  को सुचारु रूप से लागु करने  लिए कर्मचारी राज्य बीमा कॉर्पोरेशन की जिम्मेदारी है। यह एक ऐसा निकाय है जिसमें नियोजक और कर्मचारियों के प्रतिनिधि तथा संसद सदस्य होते है।  इन सदस्यों में से एक standing cometee का गठन किया जाता हैं तो इस योजना को चलाती हैं। इसकी एक अतिरिक्त परिषद होती हैं जिसे  Standing Benefit Council  कहते है। 

इस अधियनियम का मुख्य प्रशासक Director General होता है।  ESI  का मुख्यालय नई दिल्ली में है।  इसके 16  रीजनल कार्यालय 328   उपस्थानीय कार्यालय 104  छोटे  1691 निरीक्षण कार्यालय 280  पेमेंट करने कार्यालय है। 

अंशदान -

1. 100 रु  प्रतिदिन से कम वेतन पाने वाले कर्मचारी को अंशदान  जमा नहीं करना पढ़ता। 

2. वेतन का 1.75 % अंशदान के रूप में योजना में जमा कराया जाता है। 

3. नियोक्ता, कर्मचारी के मूल वेतन के 4.75 % के बराबर अंशदान योजना में जमा करता है। 

     अधिनियम का उद्देश्य- इस अधिनियम का उद्देश्य कर्मचारियों को निम्नांकित सुविधाए देना है -

1.  प्रसूति लाभ :- यदि कोई महिला कामगार प्रसव अवस्था में है या उसका गर्भपात  से पूर्व शिशु का जन्म  तो चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित  वह उस अवधि के लिए हकदार हो।  इस नियम के अंतर्गत आने वाली  सुविधाए उसे प्राप्त हो जाती  है। 

2.  अस्वस्थता बीमारी लाभ :- किसी भी बीमाकृत कर्मचारी को बीमार पड़ जाने पर और सबंधित चिकित्सा  अधिकारी  बीमारी का प्रमाण पत्र दिए जाने पर वह बीमारी की अवस्था में  सुविधाओं जैसे- सवेतन अवकाश  छुट्टी आदि पाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। 

3.  आश्रित लाभ :- यदि किसी बीमाकृत व्यक्ति की कार्य के दौरान चोट आदि के कारण  अचानक मृत्यु हो जाती है  तो आश्रित लाभ की अदायगी मृतक कर्मचारी के आश्रित को ही दी जाएगी। 

4.  अयोग्यता लाभ - इस अधिनियम के अंतर्गत यदि कार्य करते वक्त किसी बीमाकृत कामगार को दुर्घटना में चोट लग जाये या वह आंशिक अंगहीन हो जाये या स्थाई रूप से अंगहीन हो जाये तो उस स्थिति में भुगतान नियमानुसार किया जाता है।  1  दिसम्बर 2007  से किस कामगार को दुर्घटना में अस्थाई रूप से चोट लग जाने पर चाहे उसने अंशदान दिया हो, या न दिया हो या वह जितने दिन कार्य के अयोग्य रहेगा। उतने दिन का उसे  75 % की दर से भुगतान किया जायेगा। लगने पर शुरू  के तीन दिन में यदि कामगार ठीक हो  कोई भुगतान नहीं होगा।  

यदि बीमाकृत कर्मचारी स्थाई आंशिक या पूर्ण रूप से अंगहीन हो जाता है या आंशिक अंगहीनता के कारण  भली प्रकार काम नहीं कर पाता है तो उसकी आय में जो कमी आती है उसकी औसत दर से उसे जीवनभर भुगतान किया जाता रहेगा।  भुगतान की दर दुर्घटना पर निर्भर करती है। 

5. अंत्येषिट लाभ :- यदि बीमाकृत  मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सबसे बड़े सदस्य को या ऐसे व्यक्ति को अन्त्येष्ट  लाभ दिया जाता है  अंत्येषिट पर खर्च करता है।  इस  दवा मर्तक व्यक्ति  मृत्यु के 3 माह  में किया  जा सकता  है।  

6. चिकित्सा लाभ :- यदि कोई बीमाकृत व्यक्ति  के परिवार में कोई सदस्य बीमार  पड़  जाता है तो उसी                     चिकित्सा की जरूरत पढ़ती है तो उसे  चिकित्सा लाभ दिया जाता हैं  जो निम्नलिखित रूपों में देह होता है-

(a ) बीमाकृत  व्यक्ति के  चिकित्सक द्वारा दौरा करके 

(b ) अस्पताल या क्लीनिक  जगह परिचय 

(c ) OPD बाहा रोगी इलाज 

(d )  अंतरंग रोगी के रूप में 


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