भोजन जीवन की सबसे से आधिक आवश्यकताओ में से एक हैं प्राचीन समय से ही मनुष्य की तृष्णा या कहे लोभ भोजन की जरूरत पर और इसके प्रभाव पाचन जैसे विषयो पर बनी रही हैं।  जिसके फलस्वरूप "पोषण विज्ञान "(साइंस ऑफ़ नुट्रिशन ) का जन्म हुआ। लवोसिएर को पोषण विज्ञान का पिता खा जाता हैं। अत डॉक्टर व  नर्स के  लिए इसका ज्ञान होना अत्यंत जरूरी  हैं क्युकी रोगियों को स्वस्थ करने में उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा देना आवश्यक हैं। हर चीज के लिए डॉक्टर के पास जाना जरूरी नहीं हैं अतः हमे भी इन सबका ज्ञान होना जरूरी हैं जिससे हम अपना सेहत का  ध्यान रख पाएंगे। हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कौन सा पोषण तत्व कितनी मात्रा में जरूरी हैं हमे पता रहेगा तो हम अपने भोजन को उसी स्वरूप में ग्रहण कर पाएंगे जिससे की हमारा शरीर  उसी पचा सके और हम स्वस्थ रहे    दोस्तों आशा करती हु आपको आज की जानकरी लाभकारी सिद्ध हो मेरे साथ बने रहे।  rinkestudy.blogspot.com 

पोषण ( Nutrition ) 
जब जीव अपने शरीर की आवश्यकता के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को भोजन के रूप में ग्रहण करता है तो उसे पोषण कहते हैं। पोषण एक ऐसा विज्ञान है जो किसी जीव के रखरखाव, विकास, प्रजनन, स्वास्थ्य और रोग के संबंध में पोषक तत्वों और अन्य पदार्थों को भोजन में विवेचन करता है। इसमें ,आत्मसात अवशोषण अंतर्ग्रहण शामिल हैं मनुष्य समेत सभी जीव जंतु के शरीर में जैविक क्रियाओं के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। भोजन ग्रहण करने और उससे प्राप्त ऊर्जा का शरीर की विभिन्न प्रक्रिया में प्रयोग करने की प्रक्रिया पोषण कहलाती है।

पोषक Nutritents  
वे पदार्थ जो हमारे भोजन में मौजूद है तथा शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाओं के लिए जिनकी खपत की जाती है, उन्हें 'पोषक' कहा जाता है।  पोषक पदार्थो में विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण तात होते है।  जिनको निचे दिए गए चार्ट के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। पोषक तत्व (Nutrient)एक पोषक तत्व एक जीव द्वारा जीवित रहने , बढ़ने और प्रजनन करने के लिए उपयोग किया जाने वाला पदार्थ है।हर  एक व्यक्ति  को यह  ज्ञान रहना चाहिए है कि एक आवश्यक पोषक तत्व क्या है आपके शरीर को  स्वस्थ बनाए रखने के लिए कौन  सा पोषक तत्व आवश्यक है। आहार पोषक तत्वों के सेवन की आवश्यकता जानवरों, पौधों, कवक और प्रोटिस्ट पर लागू होती है।

                                                              लेकिन हर कोई पोषण विशेषज्ञ की तरह नई सोचते और  कौन कहता है कि एक उचित व्यक्ति एक पोषण विशेषज्ञ की तरह  नहीं बन सकता या सोच नहीं पाता इसलिए अपने शरीर  खिलवाड़ न करे उचित पोषण आहार तत्व ज्ञान प्राप्त कर  स्वस्थ रहे आत्मनिर्भर बने । पोषण एक आवश्यक पोषक तत्व हैं। एक आवश्यक पोषक तत्व एक विशिष्ट कमी बीमारी से जुड़ा हुआ है एक आवश्यक पोषक तत्व शरीर में निर्मित नहीं किया जा सकता है। आपको भोजन से या पोषक पूरक से आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने होंगे। उदाहरण के लिए, जो लोग समय की विस्तारित अवधि के लिए प्रोटीन के बिना जीते  हैं, वे प्रोटीन की कमी वाली बीमारी कोशिकाओं को विकसित करते हैं। जो लोग पर्याप्त विटामिन सी नहीं लेते हैं, उनमें विटामिन सी की कमी वाली बीमारी स्कर्वी विकसित होती है। आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार कमी की बीमारी को ठीक करता है, लेकिन आपको उचित पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, आप विटामिन सी की अतिरिक्त मात्रा के साथ प्रोटीन की कमी को पूरा नहीं कर सकते। इस तरह पोषक तत्व हमारे भोजन का वर्गीकरण द्वारा देखा जा सकता हैं आइये समझते हैं  -

भोजन का वर्गीकरण Classification of food 
भोजन में सभी समूहों के पोषक तत्व आवश्यक अनुपातों में पाये  जाते है।  यदि कोई पोषक तत्व अधिक मात्रा में प्रयोग कर लिया जाये, अथवा उसकी कमी हो जायें  .इससे शरीर का उपापचय बदल सकता है और विभिन्न प्रकार की असमानताएं पैदा हो सकती  हैं। खुराक सम्बन्धी उचित नियोजन से पोषको की कमी से होने वाले रोगो से बचा जा सकता है।  भोजन का वर्गीकरण मुख्यतः दो आधार पर किया जा सकता है। 

मूल स्त्रोतों के आधार पर भोजन का वर्गीकरण 
Classification Of Food Based On Basic Sources 
मूल स्त्रोतों के आधार पर भोजन को मूलतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। 
  • वनस्पति से प्राप्त भोजन
  • पशुओ से प्राप्त भोजन
  1. वनस्पति से प्राप्त भोजनवह भोजन जिसे वनस्पति से प्राप्त कर उपयोग में लाया जाता है जैसे -अनाज,चावल,फल,सब्जियाँ, शक्कर,तेल,बीज,आदि। 
  2. पशुओ से प्राप्त भोजन - वह भोजन जिसे पशुओ से प्राप्त कर उपयोग में लाया जाता है जैसे - मांस, दूध, दही, संतृप्त वसा, अण्डा  आदि। 
रासायनिक रचना और स्त्रोतों के आधार पर भोजन का वर्गीकरण 
Classificattion Of Food Based On Chamical Structure And Sources 
किसी भी संतुलित खुराक में सभी पोषक तत्वों का उचित मात्रा में होना जरूरी है।  जरूरत से काम अथवा अधिक मात्रा समस्थिति (Homeostasis ) में विकार पैदा कर सकती है।  इसके बचाव हेतु भोजन के रासयनिक संगठन की जानकारी आवश्यक है जिसका वर्णन निन्मवत है। 

कार्बोहाइड्रेट Carbohydrates  
कार्बोहाइड्रेट पोषक तत्वो में से एक तत्व हैं , कैलोरी की जरुरत को पूरा करने के लिए कार्बोहाइड्रेट प्राथमिक स्त्रोत है, इसलिए इसे ऊर्जा देने वाला भोजन भी कहा जाता है।  कार्बोहाइड्रेट की रासयनिक कार्बन,हाइड्रोजन और आक्सीजन शामिल है। कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थों की एक श्रेणी है। कार्बोहाइड्रेट कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि पचने के पश्चात ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं और ग्लूकोज ऑक्सीजन के द्वारा ऑक्सीकृत होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।  ये रासायनिक यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन होते हैं।कार्बोहाइड्रेट में कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन 1 : 2: 1 के अनुपात में होता है। इनका आधारभूत सूत्र (CH2O)n होता है। । शरीर की कुल ऊर्जा आवश्यकता की 50-79% मात्रा की पूर्ति कार्बोहाइड्रेट के द्वारा होती है। 1 ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण ऑक्सीकरण से 4.2 किलो कैलोरी (kcal) ऊर्जा प्राप्त होती है।

महत्वपूर्ण नोट:-
कार्बोहाइड्रेट बालों के लिए भी है फायदेमंद
युवावर्ग अपने शरीर को लेकर बहुत ही जागरूक हो गए हैं, तभी तो जरा-सा वजन बढ़ा नहीं कि वह डाइटिंग करना शुरू कर देते हैं। यही कारण है कि अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए लो-कार्बोहाइड्रेट ले रहे हैं। इससे आप पतले तो जरूर हो जाएंगे, लेकिन इसका सीधा असर आपके बालों पर पड़ता है। कार्बोहाइड्रेट शारिरीक ऊतक के निर्माण में हेल्प करते है और इससे विटमिन-बी भी मिलता है, इसलिए लंबे समय तक लो-कार्बोहाइड्रेट डाइट लेने से परहेज करें।

कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख स्रोत (sources of carbohydrate): -

सभी प्रकार की शर्करा,शक्कर,शहद, अनाज,दालें , जड़े और कांड जैसे -आलू,अरबी, शकरकंदी आदि  महत्वपूर्ण स्त्रोत है।कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ने पर कब्ज,भूख में विकार अथवा मोटापा हो जाता है।  जबकि इसकी कमी से प्रोटीन का ग्लुकोनियोजेनिस में विघटन,ऊर्जा का काम होना, पाचन प्रणाली  पर अतिरिक्त भार तथा कीटोसिस आदि हो सकता हैं। मांस ,गुड़, शक्कर,शहद, चावल, बाजरा ,मक्का , गेहूँ, ,ज्वार, जौ,सूखे फल, अंजीर, गन्ना, शलजम, अरबी, दूध, पके फल, आलू, शकरकंद, चुकंदर, रसीले फल आदि हैं।

मानव  शरीर में कार्बोहाइड्रेट के कार्य : -
Functions Of Carbohydrates In Human Body 
  • ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले मुख्य स्रोत होते हैं।
  • ये मण्ड के रूप में ‘संचित ईंधन’ का कार्य करते हैं।
  • यह वसा में बदलकर संचित भोजन का कार्य करते हैं।
  • यह DNA तथा RNA का घटक होता है।
  • ये शर्कराओं के रूप में ऊर्जा उत्पादन के लिए ईंधन का काम करते हैं।
  • ये प्रोटीन को शरीर के निर्माणकारी कार्यों के लिए सुरक्षित रखते हैं।
  • शरीर में वसा के उपयोग के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।
ऊर्जा की आपूर्ति ऊतक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए  कार्बोहाइड्रेट का प्रयोग ग्लुकोस   के रूप में किया  जाता है।  यह  दिमाग और नाड़ी  ऊतकों के लिए एकमात्र स्त्रोत है।  

आवश्यक प्रोटीन बचाना जब खुराख में कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त आपूर्ति हो जाती है, तो शरीर उसका ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में प्रयोग कर लेता है।  इससे संश्लेषण  प्रोटीन बच जाती है।

वसा का आक्सीडेशन वसा के आक्सीडेशन के लिए कार्बोहाइड्रेट जरूरी है।  जब आहार में कार्बोहाइड्रेट पर प्रतिबन्ध हो, तो वसा का उपापचय तेजी से होता है जबकि पदार्थो के अपूर्ण आक्सीकरण से एसिडोसिस अथवा कीटोसिस हो जाता है।  

आंतरिक गतियों को आसान करना  आमाशय एवं आंत सम्बन्धी नाली में सेलुलोज और प्रोटीन पुनः स्मरण गति को बढ़ते है।  वे पर्याप्त पानी के अवशोषण द्वारा आंतरिक सामग्री में वृद्धि  करते है।  
 
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए डॉक्टर भी कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन लेने की सलाह देते हैं।हमें ऐसा भोजन लेना चाहिए , जिसमें इसकी मात्रा अधिक हो। भोजन में इसे उपयोग करने से कई बीमारियों से भी बचा सकता है। इससे भोजन पचने में सहायता मिलती है और सेहत भी बनी रहती है। कार्बोहाइड्रेट युक्त प्रमुख आहार -

केला : सिर्फ एक केला बॉडी को एनर्जी देने के लिए काफी होता है। इसमें फाइबर, विटामिन बी-6 और नैचरल शुगर होती है, जो शरीर के सौ से ज्यादा फंक्शन को सही रखने में मददगार होती है।

पॉपकॉर्न :- पॉपकॉर्न सेहत के लिए बेहतर आहार है। यह जरूरी होता है कि वसा और सोडियम से बचने के लिए एयर पॉप्ड पॉपकॉर्न खाना चाहिए। इसके एक कप में 31 कैलोरी और 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट शामिल होता है।

बींस : -बीन्स खाने से शरीर को फाइबर और प्रोटीन मिलता है। इससे व्यक्ति का वजन भी संतुलित रहता है।

ओट्स :- ओट्स से सेहत बेहतर बनी रहती है। इसमें पाए जाने वाले फाइबर हार्ट को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है।

आलू : आलू फाइबर का सबसे अच्छा स्रोत होता है। इसमें विटामिन सी, प्रोटीन और पोटैशियम होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

स्ट्रॉबेरी : -स्ट्रॉबेरी खाने से बॉडी को विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट और फाइबर मिलते हैं। ब्लूबेरी के एक कप में 84 कैलोरी होती है। एक बार इसे खाने से पूरे सप्ताह बॉडी को राहत मिल जाती है।


प्रोटीन Protein 
प्रोटीन एक यौगिक है जिसको हमारी शारिरीक ऊतक बनाने के लिए, हार्मोन बनाने के लिए, एंजाइम बनाने के लिए और बहुत से ऐसे रासयानिक बनाने के लिए इस्तेमाल करती है जो हमारी जीवन के लिए जरूरी है. यह छोटे-छोटे अणुो से  मिलकर बना होता है जिसको हम एमिनो एसिड कहते हैं। 

प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर का निर्माण करना और उसकी मरम्मत करना होता है।  हालांकि प्रतिदिन कितनी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जाए, यह उम्र, भार और आपके व्यायाम दिनचर्या पर निर्भर करता है। एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी होती हैं हमारी आवश्यकता की कुल कैलोरी 20-35 प्रतिशत प्रोटीन से आनी चाहिए।  मानव भोजन का मुख्य अवयव प्रोटीन है। प्रोटीन शारीरिक वेग में तथा मानव में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है।आवश्यकता से अधिक प्रोटीन उच्च रक्तचाप, मोटापा, गठिया रोग, वृक्क रोग उत्पन्न करता है। शरीर में प्रोटीन की कमी से बौनापन, बाल का झड़ना, वजन में कमी, मासपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं। प्रोटीन धागे वाली, गोलाकार, साधारण तथा मिश्रित होती है।
                                                     ये नाइट्रोजन युक्त खाघ पदार्थ है जिनमें एमिनो अम्ल पूरक का काम करते है। 24 अमीनो अम्ल कई तरह के प्रोटीन का निर्माण करते हैं।  वनस्पति तथा जन्तु प्रोटीन के स्रोत हैं। सभी एन्जाइम (विकर) प्रोटीन हैं तथा विकर जैव-उत्प्रेरक हैं।  छोटी आंत के अंकुरों में प्रोटीन का अवशोषण एमिनो अम्ल के रूप में होता है।  एमिनो अम्लों में कार्बन, हाइड्रोजन,आक्सीजन और नाइट्रोजन अपनी रासायनिक रचना में पाये  जाते है।  कुछ अमीनों में आयोडीन, जिंक सल्फर, ताम्बा तथा आयरन आदि अन्य तत्व भी पाए जाते है। एमिनो एसिड हमारी शारीरिक के निर्माण का  मूलभूत हिस्सा है। शारीरिक के निर्माण  के लिए हमे  21 एमिनो एसिड की जरूरत होती है जिनमें से 12 हमारा  शरीर खुद बनाता  है और बचे हुए 9 एमिनो एसिड हमें अपने खाने से लेने होते हैं. इन 9 एमिनो एसिड को इनिशियल एमिनो एसिड कहते  है और इन 9 एमिनो एसिड के नाम इस प्रकार हैं -  Threonine ,Tryptophan ,Methionine , Leucine ,Isoleucine ,.Lysine ,Valine ,Histidine ,Phenylalanine 
                                                     अच्छी मात्रा में प्रोटीन पौधे और मांसाहारी खाने में होता है और जब हम यह प्रोटीन लेते हैं हैं तो हमारा  शरीर इसको एमिनो एसिड में टुकड़े करके हमारी जरुरत को पूरा कर लेता  है। इसीलिए हमें प्रोटीन वाले भोजन खाने की जरूरत होती है जिससे हम सही मात्रा में इनिशियल एमिनो एसिड को हमारी शरीर तक पहुंचा सके। हमारी शरीर में अलग-अलग तत्वों पर, अलग-अलग उम्र में और अलग-अलग कार्य केअनुसार से कम और ज्यादा प्रोटीन की मात्रा की जरूरत होती है. अगर आप लगातार व्यायाम करते हैं और वजन उठाने वाले व्यायाम करते हैं या कोई खेल व्यायाम करते हैं तो आपको साधारण मनुष्य से ज्यादा प्रोटीन की मात्रा की जरूरत होती है क्योंकि हमारे शरीर में व्यायाम के दौरान कोशिका नुकसान होते हैं जिसकी वजह से उनको मरम्मत करने के लिए हमें प्रोटीन की आवश्यकता होती है। जब हम सही मात्रा में प्रोटीन नहीं खाते हैं तो इसकी वजह से हमारे muscle जल्दी loss होती है और जब हमारी उम्र ज्यादा होती जाती है तो हमारी मांसपेशियों कम होने लगती  है जिसकी वजह से हमें बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। जब आप प्रोटीन से भरपूर आहार लेते हैं तो यह हमारे पेट में जाकर एसिड और एंजाइम के दवारा एमिनो एसिड में टूट जाता है। दही -मट्ठा प्रोटीन अंडे से ज्यादा जल्दी हमारे पेट में जाकर एमिनो एसिड में टूटता है. इसी वजह से शरीर निर्माण में मट्ठा  ,दही प्रोटीन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। एमिनो एसिड हमारे आंतों में एक विशेष जगह बना लेता है जिसमें की साधारण सेल बने होते हैं और यह हमारे ब्लड में एमिनो एसिड को परिवहन करने का काम करते हैं और ऐसे यह हमारी सारी शरीर में जहां में एमिनो एसिड की जरूरत होती है वहां पर पहुंचाने में मदद करते हैं।  अमीनो अम्लों को आवश्यक और अनावश्यक एमिनो अम्लों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।  जैसे-

आवश्यक अमीनो अम्ल ल्युसीन,लाइसिन,वेलीन, हिस्टीडीन,आइसोल्यूसीन आदि। 
अनावश्यक अमीनो अम्ल एलाइन, सिस्टेन, सिस्टाइन,सीराइन ,गिलसाइन आदि। 

प्रोटीन के स्त्रोत Sources Of Protein 
मुख्यतः पशुओ से प्राप्त जैसे - अंडे,दूध और दूध-उत्पाद, मछली सोयाबीन और फलीदार दालें प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत है।  प्रोटीन शरीर की मजबूत बनाने वाला तत्व है और इसके अभाव में सूखा रोग हो जाता है।  

मानव शरीर में प्रोटीन के कार्य Functions Of  Protein In Human Body 
  • एम्जाइम प्रोटीन के बने होते है जो उपापचय में सहायक है। प्रोटीन शरीर की वृद्धि के लिये आवश्यक है |
  • प्रोटीन शरीर की  मरम्मत में सहायता करता  है। 
  • प्रोटीन सैल प्रोटीनों के निर्माण और निरंतर प्रतिस्थपना के लिए सामग्री प्रदान करता है।  
  • प्रोटीन पोषक पदार्थो को कोशिका झिल्ली से अभिगमन में सहायता करते है। 
  • प्रोटीन पाचक रसों, इम्युनोग्लोबुलिन, प्लाज्मा प्रोटीन तथा हार्मोनो के संश्लेषण में सहायता करते  है। 
  • कुछ प्रोटीन संक्रामक जीवों से सुरक्षा करती है। 
  • प्रोटीन शरीर की नियमन कार्य प्रणाली (Regulatory Mecgabusns ) के लिए भी जरूरी है जैसे - वे हीमोग्लोबिन के निर्माण करते है जो ऊतकों में आक्सीजन ले जाता है।  
वसा Fats 

प्रोटीन एवं कार्बोहायड्रेट के अलावा वसा तीसरा प्रमुख पोषक तत्व है। वसा शरीर में वसीय ऊतकों Adipose Tissue के रूप में जमा हो जाते  है तथा शरीर में महत्वपूर्ण काम करते  है।  वसा की रासायनिक रचना में कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन सम्मिलित है।  । शारीरिक कोशिकाओं द्वारा आवश्यकताओ का प्रयोग कर लिया जाता है जबकि शेष जिगर और वसीय कोशिकाओंजमा हो जाता है। खुराक में लिए गए वसा का पाचन छोटी आंत के अंकुरों में होता है तथा लेकटॉयल में इनका अवशोषण होकर परिसंचरण में जाते है शरीर से प्रोटीनों और कार्बोहाइड्रेट के विकास वसा साधन होते है।  वसा को मुख्यतः दो भागों में विभजित किया जा सकता है।  
 वसा के अणुओं में मुख्य रूप से कार्बन और हाइड्रोजन परमाणु होते हैं और इसलिए वे हाइड्रोफोबिक होते हैं और कार्बनिक सॉल्वैंट्स में घुलनशील होते हैं और पानी में अघुलनशील होते है उदाहरण के लिए ट्राइग्लिसराइड्स ,कोलेस्ट्रॉल, फॉस्फोलिपिड्स और सम्मिलित हैं। वसा कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के साथ तीन मुख्य स्थूल पोषक तत्व में से एक है। यह ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है एवं विटामिन को सोखने में शरीर कीसहायता करता है। वसा सहित भोज्य पदार्थों में दूसरे तत्वों के मुकाबले ज्यादा कैलोरी रहता है।
शरीर का वजन नियंत्रण में रखने के लिए या  शुगर से बचने के लिए वसा को सीमित मात्रा में लेना चाहिए। औसतन तापमान के दौरान वसा ठोस मात्रा में मौजूद रहते हैं जैसे की घी। कभी कभी वह द्रव्य रूप ले लेते हैं (जैसे तेल)। यह पानी में नहीं घुलते।

लिपिड
प्रोटीन एवं कार्बोहायड्रेट के अलावा लिपिड पौधों और जानवरों के कोशिकाओं के प्रमुख घटक हैं। यह जीवों के शरीर का एक प्रमुख हिस्सा है।कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड लिपिड के प्रकार हैं। ट्राइग्लिसराइड जीवों के शरीर में पाया जाने वाला शाक वसा (vegetable fat) है। लिपिड ऐसे पदार्थ हैं जो पानी में नहीं घुलते हैं लेकिन शराब या क्लोरोफॉर्म में घुल जाते हैं। 

फैटी एसिड
यह एक कार्बोक्सिलिक अम्ल है जो संतृप्त या असंतृप्त दो तरह के होते हैं। यह एक प्रकार का अम्ल है जो शरीर में नहीं बनता एवं उसको भोजन के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
  1. संतृप्त वसा (Saturated Fat )
  2. असंतृप्त वसा ( Unsaturated Fat )

असंतृप्त वसा :-असंतृप्त वसा फैटी एसिड का वह प्रकार है जहाँ फैटी एसिड चैन में हाइड्रोजन का दोगुना बंध होता है। कोशिकाओं के उपापचय  में असंतृप्त वसा जरुरी है क्योंकि इसमें कम कैलोरी पाई जाती है। खाने में इस प्रकार के वसा की मात्रा जितनी ज्यादा होती है, उतना जल्दी वह खाना बासी होता है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी है कि ओमेगा-3 एवं ओमेगा-6 सहित पदार्थों का सेवन किया जाये। यह ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए काफी जरुरी हैं। इनके सेवन से डायबिटीज एवं कई प्रकार के कैंसर के होने का खतरा भी काफी हद तक टल जाता है। बादाम, काजू, तिल,मूंगफली सूरजमुखी के बीज का तेल, जैतून का तेल आदि ओमेगा-3 एवं 6 के प्रमुख स्रोत हैं।

संतृप्त वसा :-स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। मीट और डेयरी के पदार्थ इसके प्रमुख स्रोत हैं। इनमे कोलेस्ट्रॉल काफी मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारियां होती हैं। इसको पचाने में भी शरीर काफी समय लगता है। हालाँकि अगर खाने के सामान को अगर काफी देर तक ताजा रखना हो, तब संतृप्त वसा का प्रयोग कर सकते हैं।
वसा मतलब चिकनाहट  शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहायक तत्व है। वसा मुख्य रूप से शरीर की ऊर्जा को संचित करने का तरीका भी हैं। यह एक पोषक तत्व है जो कि हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है। इसके बिना हमारे शरीर का कार्य नहीं चल सकता।वसा शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है। यह मांस तथा वनस्पति दोनों प्रकार से हमें प्राप्त होती है। वसा एक ऐसा पदार्थ हैं जो शरीर को कुछ विटामिनों का उपयोग करने और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं ,वसा एक ऐसा पोषक तत्व है जो यौगिकों के एक विस्तृत समूह से मिलकर बनता है,आमतौर पर यह कार्बनिक सॉल्वैंट्स में घुलनशील और पानी में अघुलनशील होता है।

वसा के मुख्य स्त्रोत Sources Of Fat :-  हाइड्रोजिनेटिड वसा, तेल, मक्खन, मीट ,अंडे,दूध तथा दूध उत्पाद गिरीदार फल,तेल, बीज आदि। 
  • पशु वसा :- इसमें पशुओं के दूध से बना मक्खन, क्रीम और पशुओं का मांस वसा का स्त्रोत है।
  • वनस्पति वसा :- जैतून का तेल, मूंगफली का तेल, सूरजमुखी बीज का तेल, मकई का तेल, इत्यादि वसा के मुख्य स्त्रोत है।
  • तेल :- तेल ऐसा पदार्थ है जो पानी के साथ नहीं मिलता है और चिकना तरल पदार्थ होता है। कोई भी वसा जो कमरे के तापमान पर तरल रूप में मौजूद है। 
मानव शरीर में वसा के कार्य Functions Of Fats  In  Human Body 
  • वसा जिगर और गुर्दो जैसे अंगों को सहारा देता  है। 
  • वसा शरीर में रोधन प्रदान करता  है। 
  • यह वसा में घुलनशील विटामिनो के वहन में सहायता करते है।
  • वसा शरीर में लगभग 9 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता  है।  
  • वसा शरीर में विशेष प्रकार के स्टेरॉयड और हार्मोनो के सहायता करते है। 
  • वसा उदर की सामग्री को खाली करने में देरी करके परिपूर्णता अपरिवर्तनशील रखती है। 
विटामिन Vitamins 
मानव शरीर को सेहतमंद रखने के लिए कुछ रसायनों की आवश्यकता होती है विटामिन का इसमें खास महत्व है।शरीर के विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है।आहार को पौष्टिकता प्रदान करने वाले विभिन्न तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फायबर आदि होते हैं । विटामिन हमें उस भोजन से मिलती है जो हम भोजन के रूप में लेते हैं विटामिन का कोई विशिष्ट कार्य नहीं है, लेकिन इस तथ्य का महत्व है कि प्रत्येक विटामिन में मानव शरीर में स्तर की कमी से बचने के लिए अपना स्वयं का कार्य होता है और इसलिए स्वास्थ्य समस्याओं के संपर्क में, उदाहरण के लिए, रतौंधी से बचने के लिए और  एनीमिया से बचने के लिए विटामिन ए  व  सी के सामान्य स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, इसके अलावा, विटामिन ए के सामान्य स्तर को बनाए रखने से रात की अंधापन के खिलाफ सुरक्षा होती है, और अत्यधिक खपत के परिणाम स्वरूप सामान्य स्तर से उच्च विटामिन स्तर कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का परिणाम हो सकता है।

                                                     विटामिन वो छोटे-छोटे कार्बोनिक यौगिक हैं जो हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने की शक्ति देते हैं विटामिन कहा जाता है । विटामिन कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनकी आवश्यकता जीवन को बनाए रखने के लिए कम मात्रा में होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव शरीर या तो उनमें से पर्याप्त उत्पादन नहीं करता है, या यह बिल्कुल भी उत्पादन नहीं करता है अधिकांश विटामिन भोजन से आते हैं। प्रत्येक जीव की विटामिन की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं  उदाहरण के लिए, मनुष्यों को विटामिन सी, या एस्कॉर्बिक एसिड का उपभोग करने की आवश्यकता होती है, लेकिन कुत्ते नहीं करते हैं। कुत्ते अपनी जरूरतों के लिए पर्याप्त विटामिन सी का उत्पादन या संश्लेषण कर सकते हैं, लेकिन मनुष्य नहीं कर सकते।मनुष्य को अपने विटामिन डी का अधिकांश भाग सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से बचाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भोजन में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मानव शरीर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर इसे संश्लेषित कर सकता है। अलग-अलग विटामिन की अलग-अलग भूमिकाएँ होती हैं, और अलग-अलग मात्रा में उनकी ज़रूरत होती है।एक विटामिन कार्बनिक पदार्थों के समूह में से एक है जो प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में मिनट मात्रा में मौजूद है। सामान्य चयापचय के लिए विटामिन आवश्यक हैं। यदि हम किसी भी प्रकार के विटामिन का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करते हैं, तो कुछ चिकित्सकीय स्थितियों का परिणाम हो सकता है।

वसा में घुलनशील विटामिन 
वसा में घुलनशील विटामिन शरीर में लम्बे समय तक संग्रहित रहते है और वसा के शरीर में उत्सर्जन से, इनका उत्सर्जन भी हो जाता है। 

विटामिन A  ( रेटिनॉल ) आँख के रेटिन में प्रकाश के प्रति संवेदनशील रंजक (रोडोस्पिन) के उत्पादन में।  कोशिकाओं की वर्द्धि  विभड़ीकरण में सहायता करता है।   हड्डियों के विकास और रोगक्षमता तथा संकम्रण के प्रति सुरक्षा में भी वर्द्धि   करता है।  क्रीम,अंडे का पीला भाग, मछली का तेल, यकृत  विटामिन A  के अच्छे  स्त्रोत। है।  शरीर में विटामिन A  की कमी होने से रतोंधी और जीरोफ्थेलमया हो सकता है।  

विटामिन D  फ़ड्डियों के विकास के लिए विटामिन D जरूरी है।  मनुष्यों में इसका संश्लेषण धुप द्वारा होता है।  यह कैल्शियम और फास्फेट के अवशोषण को बढ़ाकर उनके उपापचय को नियमित करता है।  शरीर में विटामिन D  बच्चों की हड्डियां टेडी  .जबकि वयस्कों की हड्डियां मुलया हो जाती है।  

विटामिन E यह कुछ झिल्ली लिपिड्स की सुरक्षा में सहायता करता है जोकि आक्सीकरणी प्रतिकिर्या से नष्ट हो सकते हाँ क्योंकि खाने के तेल के रूप में वह शरीर को रोज प्राप्त होता रहता है इसलिए इसकी कमी से होने वाले रोग कम ही होते है।  विटामिन E प्रतिरक्षीकरण प्रतिक्रिया को भी बढ़ाता हैं। इसकी दैनिक जरूरत 8 -10 मिग्रा हैं। इसके स्रोत गेहू का आटा ,साबुत अनाज दूध गिरीदार फल अंडे की जर्दी तथा मक्खन आदि  हैं। 

विटामिन K यह रुधिर जमाव के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व हैं। इसका संश्लेषण बड़ी आंत में होता हैं। लवणों की सहायता से इसका अवशोषण छोटी आंत में होता हैं। इसके प्रमुख स्रोत हरी पत्तेदार सब्जिया मछली युकृत आदि हैं। रुधिर का थक्काबनने की प्रणाली पर प्रभाव पड़ता हैं जिसे रुधिर स्त्राव हो सकता है। 

पानी में घुलनशील विटामिन 
विटामिन  B कॉम्प्लेक्स  ( VITAMIN  B COMPLEX ) यह पानी में घुलनशील विटामिनो का समूह हैं जो विभिन पाचक रसो के काम में सहायता करता हैं। 

विटामिन B1 ( थायमिन  ) कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए यह विटामिन जरूरी हैं। इसके अभाव में लेटिक्ट अम्ल और पाइरूविल अम्ल जमा हो जाते हैं थायमिन से भरपूर पदार्थो में अंडे की जर्दी यकृत मांस गिरीदार फल तथा खमीर आदि शामिल  हैं।  इसके आभाव से बेरी बेरी रोग हो जाता हैं जिससे पेशियो का क्षय होता हैं।  

विटामिन B2 ( रिबोफ्लेविन ) रिबोफ्लेविन कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के उपापचय में सहायता करता हैं ,विशेषकर  आँखों और त्वचा में  .इसकी कमी से धुंधला दिखाई देना ,कार्नियल अल्सरेशन शुष्क और फ़टी हुई त्वचा मुखपाक आंत्रिक श्लेष्मा में घाव आदि हो सकते हैं। इसके स्रोत खमीर ह्री सब्जिया दूध यकृत तथा अंडे आदि हैं। 
फोलिक एसिड यह विटामिन  DNA  संश्लेशण और कोशिका विभाजन के लिए जरूरी हैं। इसका संश्लेषण बेक्टीरिया द्वारा बड़ी आंत में किया जाता हैं फोलिक अम्ल की कमी से कोशिकाओं का विभाजन तेजी से होने लगता है। 

नियासिन वसा के उपापचय के समय नियासिन कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को रोकता है।  जिससे वसा के विघटन में सहायता मिलती है।  नियसिन पनीर,खमीर,साबुत अनाजों,मछली,गिरीदार फलों और अंडो आदि में पाया जाता है।  इसकी कमी से भूख न लग्न, उबकाई, निगलने में कठिनाई, त्वचा का लाल होना तथा मानसिक विकार संभव है। 

विटामिन B6 ( पैरिडोक्सिन ) यह  अम्लों के उपापचय और न्यूकिलक अम्ल,अणुओ तथा अनावश्यक एमिनो अम्लों के संश्लेषण में सहायता करता है।  यह विटामिन अंडे की जर्दी, सोयाबीन,मांस यकृत तथा  जाता है। 
 
विटामिन B12  यह जठर श्लेष्मता से रिलीज होने वाले आंतरिक कर्क की मौजदगी में अंतिम छुद्रतर में अवशोषित  होता है। यह माइलिन के आवरण को बनाने और उसे कायम रखने में सहायता करता है जो  सुरक्षा करता है यह DNA  के शांस्लेशन में भी एक महत्वपूर्ण घटक है।  इसकी कमी से तंत्रिका विकृति मेरुरज्जु का क्षय तथा मेगालोब्लास्टिक एनीमिया हो सकता है।  यकृत, ,मांस,अंडो, खमीर किये हुए तरल  प्रमुख स्त्रोत है।  

बायोटिन इसका सम्बन्ध कार्बोहाइड्रेट के उपापचय से है।  यह खमीर अंडे के पिले भाग, वृक और टमाटर आदि में पाया जाता है और इसका सश्लेषण छोटी आंत में होता है। 

पैंटोथेनिक एसिड   यह विटामिन एमिनो अम्ल के उपचपची में सहायता करता है।  
विटामिन C ( एस्कोब्रिक एसिड ) यह बॉडी ऊतकों को आक्सीडेशन रिएक्शन से बचाकर एंटीआक्सीडेंट  का काम करता है।  इसकी दैनिक जरुरत 40 मिग्रा है।  इसकी कमी से रुधिर वाहिकाएं भुरभुरी हो जाती है, जख्म भरने में देर लगती है।  इसके आलावा मुखपाक और मवादयुक्त पदार्थ का स्त्राव ( Pyorrhea ) भी हो सकता है।  मुँह  के चरों और त्वचा के फटने को स्कर्वी कहते है।  यह विटामिन निम्बू जाती के फलों जैसे स्नात्रे, हरी सब्जियों से प्राप्त होता है। 

खनिज लवण  Mineral Salts 
खनिज लवण Minerals 
ये भोजन के अकार्बनिक अवयव है, जो शरीर के उपापचयी क्रिया को नियंत्रित करते है।  यह शरीर के ऊतकों के निर्माण के लिए कच्चा पदार्थ है और एंजाइम तथा विटामिन के आवश्यक अंग है। 

                                                                     खनिज तत्व जो प्राणी शरीर में आवश्यक कार्य अभिव्यक्त करते है। ये अकार्बनिक पदार्थ बहुत थोड़ी मात्रा में शरीर की आवश्यक प्रणलियों के लिए जरूर है। यह  शरीर के सभी उत्तकों में उपस्थित रहता है। उच्चतम मात्रा में मस्तिष्क , ह्रदय और वृक्क में। कमी से एनीमिया हो जाता है। यकृत में अधिकतम जमाव से वील्सन रोग हो जाता है। ये भोजन के अकार्बनिक घटक होते हैं, जो शरीर की उपापचयीय क्रियाओं (Metabotic Activities) का नियन्त्रण करते हैं। ये शरीर में तत्व के रूप में न ग्रहण कर यौगिक के रूप में ग्रहण किये जाते हैं।
 
आयोडीन(lodine):-  आयोडीन, थायराइड हार्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक  है।  इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से यह मेटाबोलिक रेट को कायम रखने में।   में आयोडीन की कमी सेथायराइड ग्रंथि बढ़ जाती है जिसे गलगण्ड कहते है।  मानव शरीर मेंइसकी पूर्ति आयोडीन युक्त नमक, मछली और कुछ सब्जियों से प्राप्त की जा सकती है।

                                                                 यह थायराइड ग्रन्थि के 'थायराक्सिन हार्मोन्स में पाया जाता है। थायरोक्सिन और थायराइड ग्रंथि के अन्य यौगिक जो आयोडीन युक्त होते है। इनमे I2महत्वपूर्ण घटक के रूप में होता है और महत्वपूर्ण कार्यिकी कार्य करते है। थायरॉक्सिन की अनुपस्थिति में ऊर्जा उपापचय नही हो पाता। थायरॉक्सिन सामान्य वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। थायरॉक्सिन के कम स्त्रावण से वृद्धि रुक जाती है इसकी कमी से घेंघा रोग हो जाता है। इसका प्रमुख स्रोत जल एवं समुद्री नमक और आयोडाइज्ड नमक है।

सल्फर:- यह सल्फर युक्त एमीनो एसिड जैसे सिस्टाइन और मिथियोनिन में पाया जाता है। यह लार , पित्त और इन्सुलिन में पाया जाता है परन्तु ये सिस्टीन और मिथियोनिन की सहायता से शरीर में निर्मित होते है।

क्लोरीन (Chlorine):- इसका प्रमुख स्रोत नमक है। यह शरीर में क्षार अम्ल, तथा जल के संतुलन को नियन्त्रित करता है। 

कैल्शियम (Calcium) :-  कैल्शियम हड्डियों और दांतो के इनेमल  का महत्वपूर्ण तत्व है।  यह पेशियों के रुधिर के  जरुई है।  कैल्शियम दूध,अंडे,पनीर, हरी सब्जियों आदि से प्राप्त होता है।  कैल्शियम बच्चो और गर्भवती स्त्रियों के लिए बहुत जरुरी है।  यह संतुलित भोजन में मूल सकता है।  कैल्शियम शरीर में विटामिन D के संश्लेषण में सहायता करता है।
  
                                                                  शरीर संरचना जैसे अस्थि के निर्माण में सहायक होता है , रक्त का थक्का जमाना, तन्त्रिकाओं को उत्तेजित करना आदि है। हड्डियाँ एवं दाँत मुख्यतया कैल्शियम और फास्फेट (कैल्शियम फास्फेट) के बने होते हैं। दूध, घी, अण्डा, सन्तरा व गाजर में कैल्शियम पाया जाता है। हरी सब्जियाँ भी कैल्शियम की प्रमुख स्रोत हैं। इसकी कमी से कंकाल का विकास ठीक से नहीं हो पाता। कैल्शियम की कमी से 'ओसटिओपोरोसिस (Oesteoporosis) रोग हड्डियों में हो जाता है।सीरम कैल्शियम सामान्य स्तर पर पैराथायरॉइड द्वारा नियंत्रित करता करता है  है। कुछ एंजाइम जैसे लाइपेज आदि के सक्रीयकरण के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। Ca2+रक्त स्कंदन के लिए आवश्यक होता है।

फास्फोरस (Phosphorus) :- यह ख़निज  तत्व कैल्शियम के साथ मिलकर हडियों और दांतो में इनेमल का निर्माण करता है।  फास्फेट के स्त्रोत लिवर, जई आटा तथा पनीर आदि है।  फॉस्फेट एडनोसाइन, थ्रीफास्फेट का महत्वपूर्ण घटक हैजोकि शारीरिक कोशिकाओं के एनर्जी स्टोर है।
                                                        इसका कार्य कंकाल को बनाने, रक्त एवं दाँतों के निर्माण में भाग लेना है। ये वसा उपापचय का नियन्त्रण करते हैं। ये नयूक्लिक अम्ल और प्रोटीन के निर्माण में भी भाग लेते हैं। ये दूध, अण्डा, मछली, सब्जी आदि में पाये जाते हैं। इसकी कमी से दाँत के मसूड़े कमजोर हो जाते हैं तथा हड्डियाँ लचीली हो जाती हैं। कोशिकीय कार्यो में कार्बनिक फास्फेट उपयोग होता है। फास्फोरस युक्त उच्च ऊर्जा यौगिक ATP सभी कोशिकीय क्रियाओं को ऊर्जा आपूर्ति करते है। फास्फोलिपिड कोशिकीय झिल्लियो को पारगम्यता प्रदान करता है।

मैग्नीशियम (Mg):- सभी एंजाइम अभिक्रियाओं में थायमीन पायरोफास्फेट (TPP) की आवश्यकता होती है और वसा और प्रोटीन उपापचय की विभिन्न क्रियाओं में Mg2+की आवश्यकता होती है। Mg की कमी से डायरिया हो जाता है और अत्यधिक उल्टी होती है।

सोडियम (Sodium): -सोडियम  शरीर की कई आवश्यक क्रियाओ के लिए जरूरी  है।  यह तंत्रिका-सवेदों के पसारण, पेसियो के सकुचन तथा शरीर में इलेक्ट्रोलाइट स्थिरता को बने रखने में सहायता करती है।  यह लवण अर्थात सोडियम क्लोराइड   खुराक में मिलता है।  ये कुछ खाघ पदार्थो जैसे - मछली,मीट ,अंडो, टेबल साल्ट  तथा मौसमी भोजनों में पाया जाता है।  एक मनुष्य को इसकी 5-20 ग्राम दैनिक जरूर में मात्रा की आवश्यकता होती है।
                                                             कोशिका झिल्ली को पार करने में सक्षम होता है। यह शरीर में जल-नियन्त्रण का कार्य करता है। इसकी कमी से शरीर में जल की कमी हो जाती है। यह नमक में पर्याप्त मात्रा में मिलता है। इसकी कमी से 'जल-निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है। यह तंत्रिका चालन और पेशीय संकुचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एल्डोस्टेरोन एक हार्मोन है जो कि वृक्क नलिकाओं से Na+के पुनः अवशोषण के लिए जिम्मेदार होता है। यह हार्मोन एड्रिनल कोर्टेक्स से निकलता है। सोडियम की कमी से हाइपोनेट्रेमिया रोग हो जाता है।

पोटैशियम (Potassium):यह खनिज तत्व कोशिकाओ के अंदर पाया जाने वाला कैटन है और कोशिकाओं को विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाएं  करता है।  यह तंत्रिका-सवेदों के परिवाहा, इलेक्ट्रोलाइट स्थिरता को कायम रखने और संकुचन में सहायता करता है।  एक मनुष्य को दैनिक जरूरत में इसकी 3.5  ग्राम मात्रा की आवश्यकता होती है।  
                                                        प्रोटीन, मेटाबोलिज्म और कार्बोहाइड्रेट  में और ग्लाइकोजन निर्माण में और ग्लूकोज के विघटन में आवश्यक होता है। इसकी कमी से मस्तिश्क का संतुलन खराब हो जाता है और हृदय भी ठीक से काम नहीं कर पाता है। पोटैशियम की कमी से हाइपोकैलेमिया रोग हो जाता है। ये हृदय धड़कन को नियंत्रित करता है।यह शरीर में परासरण दाब (Osmotic Pressure) को नियन्त्रित करता हैं यह सभी प्रकार की सब्जियों में पाया जाता है।

ताँबा (Copper)- यह डीमोसाइनीन (मनुष्येतर में पाया जाने वाला एक प्रकार का रक्त) का घटक होता है। यह रक्त-निर्माण एवं एन्जाइम-निर्माण में भाग लेता है। इसकी कमी से शरीर का संतुलन खराब हो जाता है।

क्लोराइड (Cl):-यह बाह्यकोशिकीय द्रव का मुख्य ऋणायन है। इसका ज्यादातर भाग NaCl के रूप में पाया जाता है। सीरम और इलेक्ट्रोलाइट के मध्य क्लोराइड स्थानान्तरण क्लोरिन शिफ्ट कहलाता है। और यह समस्थापन क्रियाविधि का उदाहरण है जिसके द्वारा रक्त की pH नियमित रखी जाती है। Cl–HCl का घटक है। जो कि लार के एमाइलेज को निष्क्रिय करता है।  

आयरन (Iron)- :- आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिक निभाता है।  यह कार्बोहाइड्रेट के आक्सीडेशन के और कुछ न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोनो के शांस्लेशन के लिए जरूर है।  स्त्रियों और गर्भवती स्त्रियों  कमी के कारन एनीमिया रोग हो जाता है।   के सेम,ऑर्गन मीट , हरी पत्तेदार सब्जियों तथा ब्रैड  आदि में पाया जाता है।  

                                                               यह रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है। इसकी कमी से एनीमिया (Anaemia) रोग हो जाता है। श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन का घटक है। यह हरी सब्जियों केला आदि में मुख्यतया पाया जाता है।  हीम अणु सायटोक्रोम का घटक है कुछ आयरन पेशियों के मायोग्लोबिन यौगिक में पाया जाता है। आयरन घटक कुछ हरी पत्तियों में अच्छा होता है और माँस में भी उपस्थित होता है। लोहा मुख्यतया लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करता है। रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन अथवा आयरन (लोहा) के कारण होता है।

जिंक (Zn):-श्वसनी एंजाइम , आरबीसी में उपस्थित कार्बोनिक एनहाइड्रेज जिंक युक्त होते है।

कोबाल्ट (Cobalt):- यह विटामिन बी 12 का प्रमुख घटक है। यह रक्त के निर्माण में भाग लेता है। इसकी भी कमी से एनीमिया रोग हो जाता है यह विटामिन B12के भाग के रूप में पाया जाता है। यह रुमेन में संश्लेषित बैक्टीरिया की सहायता से संश्लेषित होता है। कोबाल्ट RBC’s निर्माण में आवश्यक होता है।

पानी Water 
पानी हमारे शरीर के कुछ भर का 70 % है।  शरीर में इसका संतुलन एंटीडीयूरेटिक हार्मोनो द्वारा किया जाता है जो गुर्दो की छोटी नली में पानी के पुनः संचरण अवशोषण में सहायता करता है।  निर्जलीकरण से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाइये नहीं तो इसके गंभीर परिणाम निकल सकते है।  पानी शरीर की आवश्यक प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  इसीलिए यह संतुलित भोजन का एक अंग है।  

मानव शरीर में पानी के कार्य 
Function Of  Water In  Human Body 
  • यह रुधिर और ऊतकों के द्रव का मुख्य भाग है। 
  • यह शरीर भाग भागो में कई पदार्थो का वहन करता है।
  • नमीयुक्त आंतरिक पर्यावरण प्रबंध करना, जिसकी सभी सजीव कोशिकाओं को जरूरत होती है।  
  • पसीना आने के समय शरीर के तापमान को नियमित करना। 
  • कोशिकाओं के अंदर और बहार से होने वाली सभी रासायनिक प्रतिक्रियों में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
महत्वपूर्ण नोट - दस्त और उलटी आदि आने से शरीर में पानी की कमी हो सकती हैं।  हालत गंभीर होने पर अल्परक्तता ( aciodosis ) तथा क्षार -रक्तता ( alkalosis )  हैं। 
 
भोजन का भंडारण Storage Of Food 
भोजन को तैयार करने के बाद उसे उचित ढंग से रखना चाइये ताकि वह खराब न हों और उनकी पौष्टिकता भी बनी रहे।   भंडरान से भोजन स्वच्छ रहता है, तथा भोजन विषक्तता से उसका बचाव होता है।  जब पके हुए भोजन को लम्बी अवधि के लील्ये अस्वछ हालतों में रखा जाता है, तो उसमें हानिकारक विषजीव (Toxins ) पैदा हो जाते है।  घरेलू स्टार पर अधिकांश खाघ वस्तुएं  फ्रिज के ठंडे तापमान में रखी जाती है।  प्रमुख खाघ वस्तुओ को उचित ढंग से भंडारण  विभिन्न विधियां निम्न्वत है -

दूध एवं दूध-उत्पाद Milk And Milk Product 
दूध को निमन  ताप  पर स्टोर करना चाइये   खपत कर लेना चाइये।  सूखे  दूर एयर टाइट डिब्बों में रखना चाइये और इसे तैयार करने की तिथि से छः  महीने  लेना चाइये। 
दूध-उत्पादों को धंदे, साफ और अच्छी प्रकार  हुए स्थानपर रखना चाइये।  आइसक्रम तथा अन्य जमे हुए खाघ पदार्थो को फ्रीजर में रखना चाइये।  पनीर तथा मख्खन को भी फ्रिज में सुरक्षित रखा जा सकता है।

फल Fruit 
अधिकांश फलों को फ्रिज में रखा जाता है।  छिलके वाले फालोलन को लम्बी अवधि तगाक स्टोर नहीं करना चाइये।  तथा स्ट्राबेरी, चेरी और अंगूर आदि फलों को स्टोर करने  नहीं चाइये।  फ्रोजन (Frozen ) फलो को एक साल से अधिक फ्रिज में नहीं रखना चाइये।  डिब्बा बंद फल कमरे के तापमान पर रखे जा सकता है।  यदि फलों के जुड़ में नमक अथवा अन्य मसाले   मिले हुए हों, तो उन्हें तुरंत प्रयोग में लाना चाइये।  
सब्जियाँ Vegetables 
सब्जियों को अधिक ठंडे तापमान पर स्टोर किया जाता है।  सब्जियों को खरीदते समय  की वे तजि और डेग-धब्बो से रहित हो।  इन्हें स्टोर करने से पहले छांट  लेना चाइये जैसे-साफ और तजि सब्जियां बसी, नरम और सदी-गली सब्जियों से अलग कर लेनी चाइये।  हरी पत्तेदार सब्जियों को धोना नहीं  चाइये लेकिन उन्हें स्टोर करने से पहले साफ कर लेना चाइये। 
मांस और मछली Meat And Fish 

 यदि बंद और नम वातावरण  सूक्ष्म जीवाणु पैदा हो जाये, तो मांस और मछली आदि खराब  हो सकते है।  इसलिए इन्हें फ्रिज में ढक  कर नहीं रखना चाइये।  पके हुए मांसाहारी भोजन को तुरंत खा लेना चाइये।  स्मोकिंग (Smoking ) कंस को स्टोर करने का सबसे ाचा ढंग है, क्योंकि इसमें प्रतिरक्षक के रूप में होता है। स्मोक्ड मांस को लपट कर स्टोर किया जा सकता है।  साथ ही कच्चे मांस  नमि रोधक कागज में लपेट  में रख सकते है।  

भोजन Preservation Of Food  
भोजन  व्यावहारिक नियंत्रण  किये जाने वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग सिद्धांतों के विज्ञानं को भोजन प्रतिरक्षण कहते हैं। भोजन के प्रतिरक्षण की विभिन्न विधियाँ निम्न्वत है। 
  • रासायनिक प्रतिरक्षण (Chemical Preservation )
  • जैविक प्रतिरक्षण (Biological Preservation )
रासायनिक (chemical Preservation )
इस विधि में सूक्ष्म जीवाणुओ  रोकने के लिए रासायनिक पदार्थ  जैसे - नमक मिलाना, अचार डालना, स्मोक आदि। यदि इन रसायनों को अधिक मात्रा में मिला दिया जाये, तो इससे रासायनिक बिगाड़ (Chemical Spoilage ) आक्सिडेटिव रिएक्शन के कारन होता है।  इससे संरक्षित की गयी वास्तु का रंग, स्वरूप तथा गंध आदि बदल जाती है।  इस विधि से अचार, सुखी सब्जयों, मुरब्बों  तथा नमक लगी हुई सुखी मछली  संरक्षण किया जाता है। 

जैविक Biological Preervation 
इस विधि में एन्जाइमेटिक एक्शन, एल्कोहॉलिक एक्शन, एसिडिक खमीरण (Fermentation ) द्वारा किया जाता है।  सूक्ष्म जीवों को भोजन के संरक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है।  इस विधि द्वारा स्टोर किये गए खाघ पदार्थो की पौष्टिकता तथा स्वाद बढ़ता है  उन्हें देर तक संरक्षित रखा जा सकता है।  ब्रैड, वाइन , चाय कॉफी, तथा एल्कोहॉलिक, ड्रिंक आदि इस विधि से तैयार और सुरक्षित रखी  जाती है। 

संतुलित भोजन Balanced Diet 
संतुलित भोजन, जिसमें सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में सम्मिलित होते हो संतुलित भोजन कहलाते है।  इसका निर्धारण प्रत्येक व्यक्ति की आयु,स्वास्थ्य और कार्य के अनुरूप  होता है। 

कुपोषण Malnutrition 
भोजन की आवश्यक तत्वों का समावेश न होना कुपोषण की स्तिथि पैदा करती है।  सामान्यतः कुपोषण की स्तिथि प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है, जिसके कारन शरीर के वर्दी  एवं  विकास में बाधा उत्पन्न होती है।  कुपोषण वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन, अव्यवस्थित रूप से लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और जिसके कारण गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है। कुपोषण तब भी होता है जब किसी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्त्वों की सही मात्रा नहीं होती है। शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। ... कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। 

कुपोषण  Under-Nutrition
इसका आशय भोजन में आवश्यक तत्वों का सर्वथा आभाव होना है,जिसके परिणामस्वरूप शरीर की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती  है। 

पोषण का परिणाम 
Result Of Plethora Of Nutrition 
  • अधिक कैलोरी वाले भोजन, जैसे - घी, शक्कर आदि के सेवन से मोटापा तथा डायबिटीज की  समस्या आती है। 
  • संतृप्त वसा की रुधिर से रुधिर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है , जो रुधिर वाहिनियों की दीवार पर जम जाती है।  फलतः रुधिर की गति कमहो जाती है एवं रूढ़ि डाब बढ़  जाता है एवं ह्रदय सम्बन्धी रोग हो जाते है। 
दोस्तों आपके लिए यह पोस्ट सहायक सिद्ध हो यही चाहती हु की आप सबको डॉक्टर की जरूरत कम से कम पड़े अपना स्वाथ्य का ध्यान स्वयं रखे यह महत्वपूर्ण जानकारी प्रकाशित करने का उद्देय मेरा यही हैं  की  आये  दिन छोटी मोटी  स्वास्थ्य प्रॉब्लम  लिए डॉक्टर के पास जाने  की बजाय खानपान पर ध्यान देना  चाहिए स्वस्थ रहोंगे तो परिवार स्वथ्य रहेगा हमारा समाज और समाज स्वथ्य तो देश भी आगे बढ़ेगा 💪😊 ,आज का समय ऐसा हो गया हैं की हम दवागोली पर जी रहे  कौन सा भोजन कितने कब कैसे लिया जाये यह ज्ञात रख लो और आप डॉक्टर के पास जाओ आपको दवा देते ही हे तो आप खुद समज सकते हे की  है   क्या सही हे  मेने भी यह बात समजी ,मेरी यह पोस्ट आपके साथ साँझा इसलिए कर रही हु  ताकि आप भी समजे आशा करूंगी पसंद आये मेरी यह स्वाथ्य पोषण पर आधारित पोस्ट। हमेशा स्वस्थ रहे कुशहाल रहे।धन्यवाद   😊

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