हमने आपको पिछली पोस्ट में बताया कम्प्यूटर की उत्त्पति ,विशेषताओ ,जेनेरशन ,कम्प्यूटर का उपयोग के बारे में बताया । अब हम आपको कम्प्यूटर में इनपुट और आउटपुट  के  बारें बताने जा रहे हैं कंप्यूटर के दो सबसे प्रमुख डिवाइस के बारे में, जिनके माध्यम से कम्प्यूटर में डेटा को भेजते है और फिर किस तरह रिसल्ट को प्राप्त करते हैं। कम्प्यूटर  के दो सबसे प्रमुख डिवाइस Input और Output device होते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से इनके बारे में। 
कंप्यूटर इनपुट और आउटपुट ( devices ) क्या है ?
INPUT AND OUTPUT
कंप्यूटर के विशीष्ट कार्यो को सम्पादित करने के लिए आउटपुट और इनपुट और  डिवाइस की आवश्यकता होती है | इन दोनों डिवाइस को हाथो छुआ व आँखों से देखा जा सकता है  जब किसी भी डिवाइस के द्वारा हम कंप्यूटर में  इनपुट  करते हैं उसके बाद हमे कंप्यूटर डिवाइस से जो मिलता है उसे आउटपुट डिवाइस है उदाहण  के तौर पर हमने जो टाइप किया वो इनपुट है और जो आपको स्क्रीन पर लिखा हुआ नजर आ रहां है जैसे की आप ब्लॉग पढ़ रहे है हमारे माध्यम से वो आउटपुट है। 

इनपुट उपकरण समुह  कम्प्यूटर और मानव के मध्य संपर्क करने की सुविधा प्रदान करता हैं।  इनपुट डिवाइस मानवीय भाषा में दिये गये डेटा और प्रोग्राम्स को कंप्यूटर के समझने योग्य रूप में परिवर्तित कर देता हैं। यह उपयोगकर्ताओं द्वारा दिए गए डाटा को कंप्यूटर के मस्तिष्क यानी सीपीयू तक पहुंचाते हैं, जिसके बाद कंप्यूटर उस डेटा पर प्रोसेसिंग कर पाता है। उपयोगकर्ता जिस डिवाइस के माध्यम से कंप्यूटर में डाटा को पहुंचाता है इनपुट  डिवाइस कहलाते हैं। ये  डिवाइस  शब्दो अंको और अन्य चिन्हो का 0  और  1 बिट में अनुवाद करती हैं  जिन्हे कम्प्यूटर समज सकता हैं। इसके द्वारा उपयोगकर्ता कंप्यूटर में डाटा को इनपुट करता है इनपुट यूनिट के द्वारा यूजर लगभग सभी प्रकार के डाटा (data) को कम्प्यूटर में इनपुट कर सकता है, डाटा के मुख्य प्रकार निम्नलिखित है-संख्याएँ  , ध्वनियाँ , अक्षर ,चित्र ,  प्रस्तुतियाँ  ,चलचित्र विभिन  प्रकार के डाटा को इनपुट करने के लिए भिन्न - भिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइस प्रयोग में लाई जाती है ,मुख्य डिवाइस निम्न प्रकार है -

1.माउस -Mouse
2.की- बोर्ड  -Keyboard
3.टचस्क्रीन -Touch screen
4.ओ.सी.आर.-OCR
5.जॉयस्टिक  - Joysticks
6.ऍम.आई.सी.आर.  - MICR  
7.माइक - Mike
8.स्कैनर  - Scanner
9.बारकोड रीडर - Barcode reader
10.ओ.एम.आर.- OMR
11.लाइट पेन  - Light pen
12.ट्रैकबॉल -Track ball

1. माउस Mouse :-
यह एक प्वाइंटर  डिवाइस है,माउस पॉइंटिंग डिवाइस  एक आवश्यक ,जिसके द्वारा आप कंप्यूटर को बता सकते हाँ की आप उससे क्या करवाना चाहते हाँ. जब माउस को एक समतल पर मूव किया जाता है तो स्क्रीन  प्वॉइंटर  उसी डिश में मूव होता है।  माउस  में चयन करने के दो या तीन बटन होते हाँ।  ड्रॉइंग  पैकेजेस में माउस  का उपयोग लाइन ड्रा  करने, पिक्चर  को ड्रैग  और ड्राप करने आदि के लिए किया जा सकता है।  इसी के साथ मेन्यू आदि को सिलेक्ट - डिसेलेक्ट  करने के लिए भी माउस का उपयोग  हैं। जिसमें मूलतः दो बटन लगे होते है-(i).  लेफ्ट बटन (ii). राइट बटन। 
(i).  लेफ्ट बटन (Left button):-
बायां बटन से किसी एप्लिकेशन  या फाइल  या कोई अन्य प्रकार का डाटा सेलेक्ट किया जाता है या खोला किया जाता है। 
(ii). राइट बटन (Right button):-
राइट बटन का प्रयोग किसी अनुप्रयोग ,एप्लिकेशन या फाइल  से संबंधित मेनू  को देखने के लिए किया जाता है। 
आजकल माउस में एक स्क्रॉल व्हील (Scroll Wheel) का भी प्रयोग होता है जो कि कंप्यूटर पर फाइलों को पढ़ते समय पेज ऊपर -निचे सरकाने के लिए किया जाता है। इसे स्क्रॉलिंग कहते हैं। माउस निम्न रूप से तीन प्रकार के होते हैं -(a). मेकैनिकल माउस (Mechanical Mouse)
            (b). ऑप्टोमेकैनिकल माउस (Optomechanical Mouse)
            (c). ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)

2 .की -बोर्ड Keyboard :-

की - बोर्ड एक प्रकार की इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर में डाटा इनपुट करते है। कंप्यूटर के की  -बोर्ड की पैर ज़्यदातर बटन वैसी ही होती हैं जैसी टाइपराइटरमें रहती हैं साथ ही कुछ अतिरिक्त कीस भी मजूद होती हैं  साधारणतया की -बोर्ड में  80-110 कीस होती हैं। की -बोर्ड के अंदर एक सर्किट बोर्ड एक धातु की प्लेट लगी होती है। साथ में माइक्रोप्रोसेसर प्रोसेसर होता है जिसकी सहायता से सूचना की -बोर्ड द्वारा कंप्यूटर में भेजी जाती है। की-बोर्ड माइक्रो कंप्यूटर सीपीओ से जुड़ा रहता हैं। कार्य पद्धति के अनुसार दो प्रकार के की -बोर्ड होते हैं -

(i). कैपेसिटिव की -बोर्ड (Capacitive Keyboard):- इस प्रकार के की -बोर्ड के अंदर एक प्रकार की धातु की दबने वाली प्लेट लगायी जाती है, जिसमें सर्किट फ्लो करने में मदद मिलती है। जब कैपेसिटिव कुंजी दबायी जाती है, तब दबने वाली धातु प्लेट, सर्किट बोर्ड पर दबाव डालती है। यह दबाव कंप्यूटर के द्वारा जाँचा जाता है और सर्किट फ्लो शुरू हो जाता है। जिसकी वजह से सुचना कंप्यूटर को पहुचायी जाती है। 

(ii).हार्ड कॉन्टैक्ट की -बोर्ड (Hard Contact Keyboard):- इस प्रकार के keyboard में Hard Cantact keys धातु पट्टी के साथ सर्किट बोर्ड पर कनेक्ट की जाती है। जब Hard Connect Key को दबाया जाता है, तो यह धातु पट्टी पर दबाव बनती है, जो सर्किट प्लेट को स्पर्श करती है जिसके कारण उत्पन्न सिग्नलों के द्वारा सूचना कंप्यूटर को पहुँचायी जाती है। दोनों ही प्रकार के की -बोर्ड में सर्किट द्वारा प्रोसेसर को दबायी गयी कुंजी के बारे में सुचना पहुँचायी जाती है |


3.टच स्क्रीन (Touch Screen):-

यह एक प्रकार से इनपुट और आउटपुट दोनों का कार्य करती है। इसमें दर्शीय पटल ,डिस्प्ले स्क्रीन को स्पर्श करके ही डेटा इनपुट का कार्य किया जाता है। इस प्रकार के डिवाइस में कंप्यूटर पर जो कुछ भी डिस्प्ले होता है , प्रयोगकर्ता प्रदर्शित सीधे उससे इंटरेक्शन  करता है। इसका लाभ यह है की  इसमें कोई माध्यमिक यंत्र  जैसे की-बोर्ड या माउस का होना  जरुरी नहीं होता।

4. ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन Optical Character Recognition (OCR):-
OCR एक ऐसी तकनीक हैं जिसमे पहले से छपे कैरक्टर के परस्पर फर्क देखकर OCR मानक कैरक्टर से पहचान की जाती हैं  ।इस यंत्र की सहायता से छपे हुए अक्षरों को सीधे पढ़ा जा सकता है।  इस प्रक्रिया में पहले OCR द्वारा कैरक्टर  को इमेज के रूप में पढ़ा जाता है फिर उस इमेज को उस फॉर्म में कन्वर्ट किया जाता है जिसे कंप्यूटर समझ सके। इस प्रक्रिया में पैटर्न की पहचान (pattern detection) तकनीक का प्रयोग किया जाता है , जिसकी सहायता से एक अक्षर स्कैन होने के बाद उसे एक पैटर्न से मैच कराया जाता है। जिस पैटर्न से इमेज मैच करती है उसे इनपुट करने दिया जाता है। इस प्रकार OCR छपे हुए अक्षरों (printed characters) को पढ़ता है। 

5 .जॉयस्टिक्स  Joysticks :-
जॉयस्टिक्स  मुख्यतः गेम खेलने में मदद करने वाला यंत्र  है इसका उपयोग बच्चो द्वारा प्रायः  कंप्यूटर पैर खेल खेलने के लिए किया जाता हैं क्युकी यह बच्चो को कंप्यूटर सीखने का आसान तरीका हैं  इसमें हैंडल और बटन लगे होते हैं। किसी विशेष गेम के लिए हैंडल का कार्य ऑब्जेक्ट को दिशा प्रदान करना है और बटन की सहायता से ऑब्जेक्ट द्वारा निर्धारित फंक्शन प्रयोग किये जाते है यह कुछ टीवी  के रिमोट कण्ट्रोल की तरह दिखने वाली गेमिंग डिवाइस है। वैसे तो कंप्यूटर के गेम्स कीबोर्ड  द्वारा खेले जा सकते परन्तु कुछ खेल जो तेज गति से खेले जाते हैं उन खेलो में बच्चे अपने सुविधा अनुसार नहीं होते तो वह जॉयस्टिक का प्रयोग करते हैं। 

6 .मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्नाइजर Magnetic Ink Character Recognizer (MICR):-
यह एक इनपुट डिवाइस  है जिसमे मैग्नेटिक  इंक से लिखे या छपे अक्षरों को पहचानने की क्षमता होती है। इसका प्रयोग मुख्यतः बैंको आदि में सुरक्षा कारणों से किया जाता है। बैंको में चेक के ऊपरी हिस्से में कुछ  कोड (Code Words) मैग्नेटिक  इंक  से लिखे जाते हैं जो केवल MICR डिवाइस द्वारा ही पहचाने  जा सकते हैं, इसलिए इसे MICR भी कहा जाता है। MICR के लाभ (Adavantages of MICR):-
1.जिन चेकों की स्थिति ख़राब हो जाती है, जो चेक कट -फट जाते है उनमें भी MICR द्वारा कूट कोड को सही -सही पढ़ा जा सकता है। 
2.MICR data को कंप्यूटर  में direct input करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इसमें समय की बचत होती है और डाटा की गलत या भ्रष्ट होने की सम्भावना कम  होती है। 
3.MICR के प्रयोग से चेको की एनकोडिंग और डिकोडिंग  कंप्यूटर द्वारा ही स्वतः हो जाती है। 
4.MICR डिवाइस  सूक्ष्म, प्रयोग करने में आसान और पोर्टेबल होती है। 

7  .स्कैनर  Scanner :-
यह एक इनपुट यन्त्र है जिसके माध्यम से छपे हुए पन्नों ,चित्रों ,सीनरी इत्यादि को डिजिटल रूप में परिवर्तित करके कंप्यूटर में इनपुट किया जाता है। जब किसी इमेज को स्कैन किया जाता है ,तो यह बिट्स में कन्वर्ट हो जाती है और कंप्यूटर में स्टोर हो जाती है।  जब यूजर को आवश्यकता होती है वह स्कैन की गयी इमेज को प्रयोग में ले सकता है। स्कैन की गयी इमेज या फोटो बिट आ व्यूह  के रूप में स्टोर होती है। 

8 .बार कोड Bar Code Reader :-
यह  एक ऐसी डिवाइस है जिसकी सहायता से प्रिंटेड बारकोड को इनपुट किया जाता है। बार कोड रीडर का  मुख्य काम लम्बत बारो को जो  कि  अलग - अलग डेटा  के लिए निश्चित  होते हैं  यह एक ऐसी डिवाइस हैं जो हस्त चलित हैं इसमें एक प्रकाश स्त्रोत , एक लेंस और एक संसूचक लगा होता है। जिसकी सहायता से प्रकाशीय संदेशो को विद्युत संकेतो  में बदला जाता है।  बार कोड रीडर में एक डिकोड सर्किट लगा होता है जो बारकोड पिन को विश्लेषित करके कंप्यूटर को भेजता है। फिर कंप्यूटर द्वारा प्राप्त सूचनाओं एवं आँकड़ो का प्रयोग कर लिया जाता है।इसके द्वारा टैगो को पढ़ा जाता हैं जो की स्टोर मेडिकल रिकॉर्ड तथा लैब्रेरी ली किताबो अदि में होते है। 

9 . ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (OMR):-
यह एक इनपुट डिवाइस है जो किसी प्रकार के चिन्ह की पहचान करती है ,जैसे पेन्सिल द्वारा लगाया गया चिन्ह। इसका उपयोग बहुत बड़े पैमाने पर उत्तर -पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी किया जाता है। इस क्रिया में यूजर को एक पहले से छपी हुई पुस्तक या कॉपी (preprinted copy) दी जाती है जिसमें गोले बने होते है। छात्र को अपना उत्तर गोलों को चिन्हित करके देना होता है। चिन्हित गोलों की पहचानकर OMR उन्हें कंप्यूटर में दर्ज कर  देता है। फिर दर्ज की गयी पहचान आँकड़ो के रूप में प्रयोग कर ली जाती है। 

10  .लाइटपेन  Light pen :-
इस डिवाइस की सहायता से यूजर ऑबजेसट को पॉइंट करता है इसलिए इसे पॉइंटिंग डिवाइस भी  कहा जाता है। इस यंत्र में उपयोगकर्ता लाइटपेन   से डिरेक्ट्री स्क्रीन के ऊपर लिख सकता है। लाइटपेन   कम्प्यूटर से एक तार के माध्यम से जुड़ा होता है।  जब लाइटपेन    कुछ लिखा या पॉइंट किया जाता है , तो तारों के माध्यम से सूचना कंप्यूटर तक पहुँचती है और कंप्यूटर इस सूचना का प्रयोग प्राप्त निर्देशों के आधार पर करता है।

11.ट्रैक बॉल  और  -Track Ball:-

यह जॉयस्टिक की तरह ही कार्य करता हैं ,ट्रैकबॉल एक प्रकार की पेंटिंग डिवाइस है और यह इस प्रकार दिखती है ,जैसे - माउस को पलटकर रखा गया हो। इसमें पॉइंटर को मूव कराने के लिए चुंबकीय गेंद पर हाथ रखकर बॉल को ही घुमाया जाता है और पॉइंटर को मूव करता है।

12 .माइक - Mike:-
माइक एक ध्वनि इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से ध्वनि को इनपुट किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए माइक को कंप्यूटर से चोर्ड के द्वारा अटैच किया जाता है जिसका कार्य ध्वनि को कंप्यूटर तक पहुँचाना होता है। प्रारम्भ में ध्वनि एक एनालॉग डाटा होता है जिसको डिजिटलीकृत करके कंप्यूटर के उपयोग में लाया जाता है।  

आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर हार्डवेयर का एक मुख्य पार्ट है, जब हम कंप्यूटर को इनपुट डिवाइस के द्वारा जो इनपुट देते है वो डाटा प्रोसेसिंग के बाद हमे जो परिणाम अर्थात जो रिजल्ट प्राप्त होता है वो आउटपुट डिवाइस के ही द्वारा हमे प्राप्त होता है। जब हम कंप्यूटर को इनपुट डेटा देते हैं और कंप्यूटर इसे प्रोसेस करता है और इसे आउटपुट डेटा में परिवर्तित करता है, जो उपयोगकर्ता के लिए उपयोग करने योग्य होता है, तब वह सूचना  होती है। अर्थात प्रोसेस्ड डेटा के आउटपुट को सूचना कहा जाता है मनुष्य के लिए सबसे अधिक कंप्यूटर डेटा आउटपुट ऑडियो या वीडियो के रूप में है। इस प्रकार, मानव द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश आउटपुट डिवाइस इन श्रेणियों में हैं उदाहरणों में मॉनिटर, प्रोजेक्टर, स्पीकर, हेडफोन और प्रिंटर शामिल हैं। हम आउटपुट को कंप्यूटर के मॉनीटर पर देख, स्पीकर के माध्यम से सुन, प्रिंटर के द्वारा प्रिन्ट कर सकते है। कुछ आउटपुट डिवाइस के उदाहरण निम्नलिखित हैं। आउटपुट के आधार पर निम्न प्रकार के आउटपुट डिवाइस होते है। इन डिवाइस की सहायता से CPU द्वारा प्रोसेस किये गये डाटा के द्वारा उत्पन्न सूचना को प्रदर्शित किया जाता है। 
सामान्यतः दो प्रकार के आउटपुट होते हैं -
1.सॉफ्ट आउटपुट (Soft Output) :-  ये ऐसे आउटपुट होते हैं जिन्हे कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखा जा सकता है। 
2.हार्ड आउटपुट (Hard Output):-   ये वे आउटपुट होते हैं जो प्रिंटेड रूप में होते हैं ; जैसे- प्रिंट किया गया एक पेज हार्ड आउटपुट का उदाहरण है। 

1.मॉनीटर -Monitor
2.प्लॉटर  -Plotter
3.स्पीच सिंथेसाइज़र -speech synthesizer 
4.प्रिंटर - Printer
5.वेबकैम -webcam 

1.मॉनीटर (Monitor):-  
यह एक इलेक्ट्रॉनिक विजुअल डिस्प्ले (Electronic Visual Display) Unite या डिवाइस  है जो स्क्रीन पर आउटपुट प्रदर्शित करती है। कंप्यूटर मॉनीटर दो तरह के होते हैं -

(i).केथोड रे ट्यूब  ( CRT  )  -

CRT  वर्तमान में सवार्धिक उपयोग में आने वाले मॉनिटर हाँ।  ये विद्युदणु ( Electron  ) बन्दुक के माद्यम से कार्य करते हाँ जो विद्युदणु की तीन किरणें पैदा करता है - परतेक मूल रंग लाल, हरा तथा नील के लिए एक।  इन किरणों को स्क्रीन के अंदर  किया जाता है जहा ले फोस्फोरे की एक परत से तक्रारकर प्रकाश उतपन्न करती हैं।  ये किरणें स्क्रीन की पूरी चौड़ाई  को कर्मवार रेखाओं में स्केन  करते हुए चित्र का निर्माण करती हैं।  चित्र अर्थात इमेज को स्क्रीन पर बनाये रखने के लिए निरन्तन रूप से उसका पुननिर्माण करना आवश्यक है।  इसके लिए विद्युदणु किरणों को में स्क्रीन को 30 बार सकें करना है।  इसे मॉनिटर रिफ्रेश रेट कहते हाँ। 

CRT  मॉनिटर के मुख्य प्रकार :-

1.CGA-  COMPUTER Graphic Adapter Monitor

2.Dual Sync Monitor

3.EGA -  Extended Graphic Adapter Monito

4.VGA  -  Video Grpahic Adapter Monitor


(ii). लीक्विड क्रिस्टल डिस्प्लेयर  LCD :-
LCD  में कम वोल्टेज की फ्लोरोसेंट ट्यूबों का एक समूह होता हैं।  इन ट्यूबों के द्वारा उत्पन्न प्रकाश को फ़िल्टर करके ये मॉनिटर कार्य करते हैं।  इसकी स्क्रीन के बिच में तरल क्रिस्टल बॉल  की एक परत होती है जब भी  क्रिस्टलो को बोल्टेज दिया ,वे गतिशील हो जाते हैं  और प्रकश इन क्रिस्टलों में से हो कर निकल सकता है तथा स्क्रीन पर देखा जा सकता है। तरल क्रिस्टलों की गति की मात्रा तथा स्क्रीन पर प्रकाश, दिए जाने वाले वोल्टेज द्वारा नियंत्रित किया जाता है। LCD  मॉनिटर, CRT  की तुलना में अधिक महंगे होते है। साथ ही बेहतर पिक्चर, चमकीले रंग, बिजली की कम खपत, अदि इसके लाभ हैं।
 
(iii). टीएफटी -एलसीडी आधारित मॉनीटर (Thin Film Transistor-Liquid Crystal Display Based Monitor):-
Thin Film Transistor-Liquid Crystal Display Based Monitor आधारित मॉनीटर में थिन फिल्म ट्रांजिस्टर (Thin Film Transistor) का प्रयोग किया जाता है जसके कारण प्रदर्शित चित्र की गुणवत्ता बढ़ जाती है। TFT-LCD मॉनीटर CRT मॉनीटर की तुलना में हल्के , अधिक गुणवत्ता वाले तथा अधिक आकर्षक होते हैं। 

2 .प्लॉटर plotter  :-
कंप्यूटर जनित आकृतियों को कागज पर प्रिंट करने करने के लिए प्रिंटर के अलावा एक अन्य प्रकार के यंत्र का  उपयोग किया जाता हैं जिसे x -y प्लॉटर (x -y प्लॉटर)  खा जाता हैं यह काफी बड़े आकर के कागजो पर चित्राकन कर सकते हैं यह अत्यंत उच्च गुणवत्ता युक्त रंगीन सामान्य प्रिंटिंग करते हैं इनका मुद्रण आकृति में बिकुल सही होता  हैं इसलिए इनका उपयोग इंजीनियर ड्रॉइंग व मानचित्रो आदि को खींचने के लिए करते हैं ताकि  आकृति आकर प्रकार में बिलकुल सही हो एक ही आकृति को य छोटा या बड़ा करके भी खींच सकते हैं। प्लॉटर में एक पैन होता हैं जो कंप्यूटर के आदेश के अनुसार कागज पर टिक कर आकृति बनता हैं। कागज को आगे सरकने का कार्य एक विधुत मोटर द्वारा नियंत्रण किया जाता है। 
 प्लॉटर दो तरह के होते हैं -
1 .ड्रम पेन प्लॉटर 
2.फ्लैट बेड प्लॉटर 

3.स्पीच सिंथेसाइज़र  speech synthesizer 
जब किसी आवाज या स्पीच को माइक के द्वारा रिकॉर्ड करते समय उसे 0 से 1 के बाइनरी रूप में बदलकर कंप्यूटर की मेमोरी में स्टोर कर लिया जाता हैं  तो स्पीच सिंथेसाइज़र इन बाइनरी संकेतो को दोबारा ध्वनि तरंगो में बदलने का काम करता हैं जैसे की स्पीकर। 

4.प्रिंटर (Printer):-
प्रिंटर की सहायता से हम कंप्यूटर में स्टोर डाक्यूमेंट्स,चित्र या फोटो आदि को प्रिंट कर सकते हैं। प्रिंटर दो तरह के होते हैं -
(i). इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)
(ii). नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer)

(i). इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer):-
इम्पैक्ट प्रिंटर वे प्रिंटर हैं जिनमें पेपर पर प्रिंट करते समय प्रिंटिंग हैड ,रिबन और पेपर का फिजिकल कनेक्शन (Physical Connection) होता है ; जैसे - डेसी व्हील प्रिंटर , चेन प्रिंटर ,लाइन प्रिंटर ,ड्रम प्रिंटर इत्यादि। आजकल इम्पैक्ट प्रिंटर चलन से बहार हो गए हैं। 
इम्पैक्ट प्रिंटर के पाँच भाग होते हैं -
(a). डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)
(b). डेजी व्हील प्रिंटर (Daisey Wheel Printer)
(c). चेन प्रिंटर (Chain Printer)
(d). लाइन प्रिंटर (Line Printer)
(e). ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)

(ii). नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer):-
नॉन -इम्पैक्ट प्रिंटर वे प्रिंटर होते हैं जिसमें प्रिंटिंग करते समय पेपर का प्रिंटिंग हैड आदि के साथ कोई कनेक्शन नहीं होता है। आजकल बाजार में नॉन -इम्पैक्ट प्रिंटर सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं क्योंकि ये आकर में छोटे , वजन में कम होते हैं तथा इनके रख -रखवा में कम खर्च आता है। 

नॉन -इंपैक्ट प्रिंटर के तीन भाग होते हैं -
(a). लेजर प्रिंटर (Laser Printer)
(b). इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer)
(c). इंकलेस प्रिंटर (Inkless Printer)

(c). इंकलेस प्रिंटर (Inkless Printer):- इंकलेस प्रिंटर के भी दो भाग होते हैं -
(i). थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer)
(ii). यूवी प्रिंटर (UV Printer)

5 .वेबकैम webcam :-

वेबकैम एक ऐसा छोटा  इमेज  हम  WWW , इंस्टैंट या फिर PC, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर देख सकते हैं।  वेबकैम के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जा सकती है, जिसमें दो या दो से अधिक लोगो को भिन्न-भिन्न स्थानों पर, एक ही समय में, ऐसे कमरे में सुनने व् देखने की सुविधा उपलब्ध करता है जिसमें माइक्रोफोन, स्पीकर्स, वेबकैम कैमरा तथा प्रॉजेक्शन  उपकरण हों।  वेबकैम के द्वारा कोई भी व्यक्ति रंगीन वीडियो में एक दूसरे को सुन व् देख सकते है।  इसके द्वारा यात्रा का समय व् खर्चा बचा सकते  है और इसके द्वारा कॉन्फ्रेसिंग के साथ-साथ कंप्यूटर पर अपना निजी कार्य भी कर सकते हैं।     

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