नमस्ते  दोस्तों जैसा कि  मेरा ब्लॉग एजुकेशनल हैं जिसके अंतगर्त में स्टडी  में हेल्प , एग्जाम , जॉब इत्यादि  में आपको सहायता मिले इस तरह के ब्लॉग लिखती हूँ मेरी  कोशिश  रहेगी की आप को पूरी तरह से संतुष्टि प्राप्त हो  मेरे ब्लॉग से ,आज का विषय कम्प्यूटर हैं  जिसमे आपको कम्प्यूटर की उत्त्पति ,विशेषताओ ,जेनेरशन ,कम्प्यूटर का उपयोग के बारे ब्लॉग लिखा गया हैं  आगे भी इस  विषय पर लिखती रहूंगी | 


कम्प्यूटर का परिचय-

कम्प्यूटर पिछली सदी की एक महानतम खोज है ,आज का युग कम्प्यूटर का युग है | आधुनिक समय में तकनीकी आधार पर आज इतना ज्यादा विकिसित हो गया हैं की हमारे कोई भी काम चुटकियो में हो जाते हैं ,हमारे जीवन के प्रत्येक भाग में कम्प्यूटर का इस तरह समावेश कर चुका हैं की बड़े पैमाने पर इसका उपयोग अब अनिवार्य हो गया हैं | सबसे शक्तिशाली और उपयोगी मशीन है |आज कंप्यूटर सरल गणनाओं की तुलना में बहुत अधिक कार्य करता है जैसे कि  स्कैनर दुनिया भर के ट्रैफिक सिग्नलों का प्रबंधन, स्वचालित टेलर मशीन एटीएम आदि को स्टोर करते हुए हमारे किराने के बिल की गणना कई काम करता है।आज हम देख सकते हैं कि कंप्यूटर का उपयोग लगभग हर जगह किया जाता है, डिपार्टमेंटल स्टोर बैंक रेलवे एस इंडस्ट्री स्कूल हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर आदि | कम्प्यूटर ने आज हमारे जीवन को अधिक सरल और गतिशील बना दिया हैं | 

कम्प्यूटर की उत्पति कम्प्यूट शब्द  हुई हैं जिसका अर्थ हैं  गणना करना। पहला कंप्यूटर  1822 ई. में, ब्रिटिश गणितज्ञ और आविष्कारक चार्ल्स बैबेज 1791-1871 ने भाप से चलने वाले स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर का निर्माण किया, जिसे उन्होंने “Difference Engine” या “डिफरेंशियल इंजन” कहा । यह साधारण कैलकुलेटर से अधिक था। क्योकि सबसे पहला एनालिटिकल इंजन sussessor था diffrent engine जो आटोमेटिक मैकेनिकल कैलकुलेशन करता था और इसी परआधारित हैं आज के  समय का कम्प्यूटर हैं।  यह एक मशीन हैं जो अंकगणितीय कार्यों को बहुत शीघ्र उच्चगति से करता हैं जबकि वर्तमान कम्प्यूटर , प्राचीन मान्यता प्राप्त कम्प्यूटर से कही ज्यादा बेहतर कार्य करते हैं। आज हम जिस यंत्र ( कम्प्यूटर ) का उपयोग इतने आसानी से कर रहे हैं इसके  लिए हमारे वैज्ञानिको की  वर्षो ( year )की मेहनत लगी तब जाकर आज इसका उपयोग हम दैनिक आवश्यक कार्यो  में उपयोग कर पा  रहे है | 


Prossesing unit- 

कम्प्यूटर को हम इन शब्दो में समझ सकते हैं -  

 जब हम कंप्यूटर को ( input data) मतलब सुचना देते हैं और कंप्यूटर इसे (prosses )संसाधित करता है और इसे ( output data ) में परिवर्तित करता है, जो उपयोगकर्ता के लिए उपयोग करने योग्य हो जाता है, तब वह सूचना (Information) होती है। अर्थात prossesed  data के output को सूचना कहा जाता है। कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन हैं जो प्राप्त सुचनाओ को निर्देशो  के अनुसार हल करके हमे इसका यह उत्तर प्रदान करती या परिणाम  देती हैं | अर्थात कम्प्यूटर वह युक्ति अथवा मशीन हैं जिसके द्वारा ऑटोमैटिक  विभिन प्रकार से संगणनाओ  व् आकड़ो को संसाधित एवं संचयित किया जाता हैं |  


कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषताए  - 

  • स्वचालित ( Automatically ):  कम्प्यूटर एक ऑटोमैटिक  मशीन हैं  एक  बार इसे अनुदेश या निर्देश दे दो फिर वह तब काम करता रहेगा कब तक की रुकने का आदेश न मिल जाये , इस तरह मानव हस्तक्षेप की जरूरत कम पड़ती हैं और समय की बचत होती हैं। 
  • गति (speed ) : कंप्यूटर एक उच्चत्तम  गति की मशीन है! यह उन सूचनाओं को सेकंडो  में कर  देती  जिन्हे करने के लिए मनुष्य को शायद एक वर्ष या उससे भी अधिक समय लगे ! एक प्रकार कंप्यूटर की सर्वप्रथम विशेषता इसकी गति ही है। 
  • शुद्धता (Accuracy ) : शुद्धतापूर्वक कार्य करना कंप्यूटर की दूसरी  विशेषता हे |  कंप्यूटर  कार्यो में किसी प्रकार की अशुद्धता  (गलती) की कोई सम्भवना नहीं होती हे और हमे यही किसी प्रकार की अशुद्धियाँ दिखाई देती है तो वे मानव निर्मित जैसे गलत सूचनाएं देना  गलत  प्रोगामिंग आदि  हो सकती हैं,  जिसे हम  सुधार सकते हैं 
  •  दृढता (consistency ): एक कंप्यूटर घंटो तक बिना थके, बिना रुके तटस्थता एवं  भावना विहीन हो कार्य कर सकता है 
  • चपलता (versatility ): कंप्यूटर का एक महान गुण  है! यह बिना किसी देरी के प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तुरंत  कोई भी परिणाम हमारे सामने पेश करने की योग्यता रखता है। 
  • स्मरण योग्यता ( Remembrance Power ): मानव मष्तिस्क की प्रकति भूलने वाली होती हैं  एवं हम कुछ समय  खास बातो को ही ध्यान रख  सकते हैं जबकि इसके विपरीत कंप्यूटर की स्मरणशक्ति किसी भी स्थिति में बहुत अधिक होती है एवं  कंप्यूटर में स्टोर की गयी किसी भी सुचना  को बिना किसी देरी के जब चाहे देख सकते है | 
  • उच्च संग्रह क्षमता ( high storage capacity ) : एक कंप्यूटर सिस्टम की डाटा की संग्रहण  क्षमता बहुत उच्च  होती है कंप्यूटर लाखों शब्दों को बहुत  कम जगह में संग्रहित करके रख सकता है यह सभी प्रकार के चित्र प्रोग्राम गेम्स तथा आवाज को कई वर्षों तक संग्रहित कर के रख सकता है हम जब  चाहे  उस सुचना को कुछ समय में प्राप्त कर उपयोग  कर सकते हैं । 


 कम्प्यूटर जेनेरशन  - 

आज वर्तमान में जो कंप्यूटर हमारे सामने है, वैसा हमेशा से नहीं  था।  आज की स्थिति तो कंप्यूटर की उत्पति के साथ चलते रहने वाले विभिन्न शोध कार्यकर्मों के  परिणाम स्वरुप हमारे सामने है।  विभिन्न समयावधि मे कंप्यूटर का अलग-अलग तरीको से विकास हुआ है।  विकास के इसी आधार पर इस प्रकार से पीढ़ियों (जनरेशन्स) में  वर्गीकृत किया गया हैं।  

पहली पीढ़ी ( First Generation Computer ) :
1943-46      Eniac - Electronic Numerical  Interator  & Calculator
 यह पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे अमेरिका में जे. प्रिस्पर एकवर्ट और माऊचली  द्वारा रक्षा उद्देश्यों से तैयार किया गया था।  इस कम्यूटर को तैयार करने में वैक्यूम ट्यूब्स ( डायोड और ट्रायोड ) का इस्तेमाल किया गया था।  इस पीढ़ी के कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग बहुत ही कठिन थी और यह स्टोर प्रोग्राम के सिद्धांत पर काम करती थी। इस जेनेरशन का मुख्य कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटिग्रेटेर और कैलकुलेशन था। 
     
  1946-52       EDVAC ( Electric Discrete Variable  Auto Computer )
 यह कंप्यूटर जॉन वानं  न्यूमेन  द्वारा तैयार किया गया था।  इस प्रकार का कंप्यूटर अपनी मेमोरी मे डेटा और प्रोग्राम्स को स्टोर करने में सक्षम था।  इस कंप्यूटर को तैयार करने में भी वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया था। यह पहला डिजिटल कंप्यूटर कहा जा सकता है जिसमे बायनरी डिजिट्स ( 0 एवं 1 ) का उपयोग किया गया था। 
  1951             UNIVAC - Universal Automatic Computer 
यह पहला डिजिटल कंप्यूटर था जिसे बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार किया गया था।  इस कंप्यूटर का उपयोग सबसे पहले जनरल इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन में 1954 में व्यावसायिक उदेश्य से किया गया था। इसके पश्चात आईबीएम IBM  कंपनी ने इसी  को  सुधार कर बाजार में प्रस्तुत किया।  इस प्रकार प्रथम पीढ़ी के कम्पूटरो में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया ,इनमें प्रोगामिंग के लिए असेम्ब्ली लैंग्वेज का उपयोग किया गया।  ये कंप्यूटर आकार में बड़े एवं परिवर्तन की दृष्टि से अनुपयोगी थे साथ ही ये कंप्यूटर अधिक मात्रा में गर्मी उत्पन्न करते थे  किसके लिए वातानुकूलन ( Air Conditioning ) आवश्यक था। 
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताए इस प्रकार हैं  -
  • इन कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग  क्षमता बहुत कम होती थी। 
  • यह आकर में बहुत बड़े थे।
  • इस जेनेरशन के कम्प्यूटर की भाषा मशीनी भाषा (MASHINE LANGUAGE ) थी। 
  • इनपुट और आउटपुट के लिए  PUNCH CARD का उपयोग किया जाता था। 
  • प्राइमरी मेमोरी  बहुत ही  सीमित थी। 
  • इन कंप्यूटर को चलाने पर अधिक इलेक्ट्रिसिटी  ऊर्जा खर्च होती थी। 
  • ये कंप्यूटर स्टोरेज प्रोग्राम सिद्धांत पर कार्य करते थे। 
  • प्राइमरी मैमोरी के लिए मैगनेटिक ड्रम का प्रयोग किया जाता था।  
    दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Second  Generation Computer ) :
 1956 -64        IBM , 1620, 7090, 70941  CDC -1604 , PDP - 1,5,8 
 दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांज़िस्टर्स का उपयोग किया गया था।  ट्रांसिस्टर का विकास JOHN BURDIN और WILLIAM  B SHOCKLEY अदि ने अमेरिका की बेल प्रयोगशाला में किया।  फेराइट कोर का उपयोग मुख्य  मेमोरी के लिए किया जाता था, इसी प्रकार सेकेंडरी मेमोरी के लिए मैग्रेटिक  टेप अथवा  डिस्क या ड्रम का उपयोग किया गया।  इस  कम्पूटरो में प्रोगरामिंग के लिए  हाई लेवल लैंग्वेज आदि का प्रयोग किया गया था। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कम्पूटरो की तुलना में अधिक तेजी से कार्य करने के ही आरामदायक भी थे। इन कम्प्यूटरों द्वारा पहले कम्प्यूटरों की तुलना में कम गर्मी उत्पन्न हुई।   परन्तु वातानुकूलन (Air conditioning ) फिर भी आवश्यक पड़ती थी इस समय का कंप्यूटर का उपयोग बिज़नेस तथा इंडस्ट्री में किया गया।  
दुसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताए इस प्रकार हैं  -

  • प्राइमरी मैमोरी के रूप में  Magnetic cores का प्रयोग किया जाता था। 
  • इन कम्प्यूटर में स्थाई रूप से डेटा स्टोर करने  लिए  Magnetic tape को प्रयोग में लाया गया था।
  • ये  कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कम्पूटरो से कीमत में कम थे। 
  • ये  कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटर से आकर में छोटे तथा वजन में हल्के थे।  
  • इन पीढ़ी के कम्पूटरो में वैक्यूम ट्यूब के जगह ट्रांसिस्टर का प्रयोग किया गया था। 
  • इन कप्यूटर की गति पहली पीढ़ी के कंप्यूटरो  की गति से  कहीं अधिक थी। 
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग भाषा असेम्ब्ली भाषा तथा हाईलेबल भाषा थी।  

 तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Third Generation  Computer ) (1964- 71 :

 तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव हुआ  इसमें इंटीग्रेटेड सर्किट्स का उपयोग प्रारंभ हुआ जो सिलिकॉन चिप पर बना था।  ये अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करते थे । इनकी गति पर्याप्त तेज थी एवं  अधिक छोटा होने के कारण सुविधाजनक  व् विश्वसनीय हो गए थे।  इसी के साथ इनके रखरखाव के लिए विशेष इंतजाम की आवश्यकता थी। 
 तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताए इस प्रकार हैं -
  •  यह कंप्यूटर  कीमत में  कम सस्ते  थे दूसरी पीढ़ी कि तुलना में। 
  • इंटीग्रेटेड चिप के प्रयोग का कारण आकर में काफी छोटे हो गए।
  • इंटीग्रेटेड चिप के प्रयोग  कारण प्राइमरी मैमोरी कपैसिटी  काफी बड़ गई। 
  • इन कंप्यूटरो ने ट्रांसिस्टर के जगह पर सिंगल चिप का प्रयोग किया गया। 
  • इन कम्प्यूटर्स की डाटा प्रोसेसिंग की गति दूसरे पीढ़ी के अपेक्षा काफी तेज थी। 
  • इन कंप्यूटर में हाईलेबल  लैंग्वेज का प्रयोग आसानी से किया जाने लगा। 
 चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Fourth  Generation  Computer ) :

चौथी पीढ़ी के कम्यूटरो  में वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन तथा माइक्रोप्रोसेसर चिप का प्रयोग किया गया। इसमें लार्ज स्केल इंटीग्रेशन का हुआ है। माइक्रोप्रोसेसर का विकास संपूर्ण सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के सिंगल चिप पर डिजाइन होने पर संभव हुआ इस कार्य को VLSI के विकास ने संभव बनाया। इंटेल कारपोरेशन  (USA) ने 1971 में मइक्रोप्रोसस्सिंग चिप का विकास किया।  इन्हें कम रखरखाव की  एवं  आकर और अधिक छोटा होने के कारण इनकी गति व उपयोगिता में वर्द्धि हुई। 
 चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताए इस प्रकार हैं -

  •  इन कंप्यूटर में VLSI  का प्रयोग आंतरिक OPERATION  करने के लिए किया जाने लगा। 
  •  इन कम्प्यूटरों में MICROPROCESSOR   का प्रयोग किया जाने लगा। 
  •  इस पीढ़ी के कम्प्यूटर  आकर में काफी छोटे हो गए ,जैसे - DESKTOP COMPUTER , LAPTOP  (PC)
  •  इन कम्प्यूटरों की DATA प्रोसेसिंग की क्षमता तथा DATA  STORAGE  अधिक थी। 
  •  इनका एक स्थान से दूसरे स्थान  पर स्थानांतरण करना आसान था। 
  •  इनको ऑपरेट करना भी काफी आसान था। 
  •  चतुर्थ पीढ़ी का मुख्य कंप्यूटर  IBM - PC  था। 
 पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (fifth Generation Computers ) : 
 इसमें बहुत ही बड़े पैमाने पर इंटीग्रेशन का उपयोग हुआ।  इनमें कृतिम समझदारी का उपयोग किया गया।  इन्हें मानव की तरह संवेदी व समझदार बनाया गया ताकि कंप्यूटर मनाव की तरह सोच सके समज सके और मानव की तरह काम भी क्र सके  ,ये स्वयं निर्णय लेने के  सक्षम हैं।  ये कंप्यूटर आधुनिक कंप्यूटर हैं एवं  वर्तमान में भी इनमें विकास की प्रकिया सतत जारी है। इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर प्रकार हैं -

  • डेस्कटॉप
  • लैपटॉप
पांचवी  पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताए इस प्रकार हैं -
  • ULSI तकनीक ,सच्ची कृत्रिम बुद्धि का विकास। 
  • पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटरों के आंतरिक ऑपरेशन  Very  Large Scale  intergrated circuit  ( VLSI ) तकनीक का प्रयोग किया गया है। 
  • इन कम्प्यूटरों की processing  क्षमता काफी अधिक है।  इनकी गति पिको सेकेंड तथा नेनो  सेकंड में मापी जाती है। 
  • इन कम्प्यूटरों में निर्णय लेने की क्षमता है क्योकिं इनके कृतिम बुद्धिमता ( artificial intelligence ) है। 
  • रोबोटिक,तंत्रिका जाल,गेम खेलना,वास्तविक जीवन की स्थितियों में निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञ प्रणालियों का विकास ,प्राकृतिक भाषा की समझ 
  • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का विकास , समानांतर प्रसंस्करण में उन्नति ,सुपरकंडक्टर तकनीक में उन्नति,मल्टीमीडिया विशेषताओं के साथ अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस,सस्ती दरों पर बहुत शक्तिशाली और कॉम्पैक्ट कंप्यूटर की उपलब्धता। 
  • इस generation  में मुख्य कंप्यूटर super computer  तथा robotes  आदि हैं।

कम्प्यूटर का उपयोग -

कम्प्यूटर आज के मानव जीवन में अहम भूमिका निभा रहा हैं इसने हर क्षेत्र में अपनी उपयोगिता को सिद्ध किया हैं. चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो। कुछ क्षेत्रों का विवरण निम्लिखित हैं जहा कम्प्यूटर का उपयोग बड़े पैमाने पर हुआ हैं।  

* कार्यालय \व्यावसायिक  (office-business ) :

रोजमर्रा के विभिन्न  कार्यो को करने के लिए कार्यालय में कम्प्यूटर का  उपयोग बड़े पैमाने पर किया जैसे ,फॉर्म्स, पत्रों, विविध प्रकार के दस्तावेज, मेमोरेंडम, प्रोजेक्ट रिपोर्ट आदि को कंप्यूटर पर बहुत ही सरलता एवं शीघ्रता से तैयार किया जा सकता है।  इस कार्य के वर्ड , स्प्रेडशीट (एक्सेल)  इसके साथ ही कम्पनी अपने आवश्यकताओ के अनुसार अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बनवा कर सकते हे जिससे कम्पनी  का डाटा सुरक्षित रहता हैं गोपनीयता बनी रहती और एकाउंट्स ,पेरोल ,मार्किट रिसर्च मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम इत्यादि विभिन्न कार्यो हेतु बहुत उपयोगी हैं । 

* प्रकाशन  एवं  मुद्रण ( Publishing & Printing ) डीटीपी ):

कंप्यूटर के उपयोग से अभूतपूर्व क्रांति आ गयी है।  आज सभी तरह के ब्रोशर, फार्म, पत्र, बुक्स, विजिटिंग कार्ड्स आदि की डिजाइनिंग नए-नए सॉफ्टवेयर जैसे कोरल ड्रा, फोटोशॉप, पेजमेकर कवार्क-एक्सप्रेस आदि के माध्यम  से बहुत ही आकर्षक रूप में शीग्रतापूर्वक की जा सकती है। 

* डेटाबेस प्रबंधन  ( Database Management  ):

डेटाबेस शब्द के पीछे जो मान्यता छिपी है की उपयोगकर्ता एक या अधिक सह -सबंधित फाइलों  की सूचनाओं को अपने कार्य की आवश्यकता के अनुसार गणना करके पुनः इच्छित   परिणाम प्राप्त कर सकता है।  इस प्रकार डेटाबेस प्रबधन के तहत बड़े-छोटे संस्थानों में कर्मचारियों से सबंधित एवं इसी प्रकार के कई कार्य कंप्यूटर की सहायता से किये जा सकते हैं। 

* शिक्षा ( Education  ):

आज कई शिक्षण संस्थानों में कंप्यूटर को शिक्षा के एक साधन के रूप मैं उपयोग किया जाने लगा है। कंप्यूटर का सर्वाधिक उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा हैं।  मल्टीमीडिया कंप्यूटर सीडी ( कॉम्पैक्ट डिस्क ) के माध्यम से आडिओ   / विडिओ आउटपुट एवं बड़े ओवर्स  हेड प्रोजेक्टर्स के माध्यम से विभिन्न विषयों की शिक्षा दी जा रही है। 

* बैंक ( Banking  ):

बैंकों में कंप्यूटर का उपयोग आज बड़े पैमाने पर हो रहा है. ग्राहकों के खाते रखना, उनसे सबंधित विभिन्न सूचनाओं का आदान -प्रदान दूसरी शाखाओ को करना, समाशोधन ग्रहों ( क्लीयरिंग हाउस ) से चैको का निपटान आदि आज कंप्यूटर के माध्यम से ही होने लगा है।
 

*संचार एवं प्रसारण ( Communication & Broadcasting ):

लम्बी दुरी तक सुचना भेजे और वहाँ से सूचनाये मंगवाने के लिए कंप्यूटर का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है।  इंटरनेट क्रांति ने इस युग का स्वर्णिंम अध्याय शुरू कर दिया है।  आज हम घर बैठे ही कंप्यूटर पर साड़ी दुनिया की जानकारी हसित कर सकते है।  इंटरनेट में टेलीफोन लाइन के द्वारा कंप्यूटर से लगे मॉडेम से हम घर बैठे ही सेष विश्व से आसानी से जुड़ सकते हैं। 

* केड  ( Computer Aided Design );

इंजीनियर, वैज्ञानिक,डिज़ाइनर (चित्रकार ), मानचित्रकार आदि कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन ( कैड ) सोफ्टवेरों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के नक़्शे , भवनों के डिजाइन , मशीनों का नया स्वरुप, कार का नया मॉडल डिजाइन करना आधी कार्य सरलतापूर्वक कर सकते हैं।  इन डिजाइनों को त्रिआयामी ( थ्री डाइमेंशनल -3 डी ) दर्शयता के रूप मैं वास्तविक उत्पादन कैसा होगा , यह देखा जा सकता है।  

* चिकित्सा क्षेत्र में कंप्यूटर ( Computer in Medical Field ):

चिकित्सा के क्षेत्र में भी कम्पुटगर ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। कम्प्यूटर का प्रयोग स्वास्थ्य संबंधित यंत्र कंप्यूटर जनित डायग्रोस्टिक मशीनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार जांच जैसे - आँखों की जाँच , शरीर के आंतरिक भागो की स्केनिंग , बायपास सर्जरी, पैथलॉजी टेस्ट सिटीस्केन ECG चेकअप अल्ट्रासाउण्ड  आदि की जाने लगी है।  इन दिनों बेक ऑफिस प्रोसेसिंग ( Back Office Processing ) का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है।

* वैज्ञानिक कार्य व अंतरिक्ष विज्ञान और मौसम की जानकारी (Scientific work space science and weather information )

  कंप्यूटर के प्रयोग ने वैज्ञानिक अनुशंधान को नए आयाम प्रदान किये कंप्यूटर के प्रयोग के परिणाम स्वरुप अनुशंधान कार्यो में तेजी से विकास हुआ है क्युकी जिस डेटा का विश्लेषण करने में वैज्ञानिको को कई दिन लग जाते थे आज सुपर कम्प्यूटर्स के कारन यह कार्य सेकड़ो में ही  हो जाता है आज अत्यंत तेजी से कार्य करने वाले प्रोसेसर्स का निर्माण कंप्यूटर की मदत से ही संभव हो सका  है अंतरिक्ष की सूचनाओं को कंप्यूटर द्वारा प्राप्त करना व फिर विश्लेषण करके निष्कर्ष निकालना आज कल बहुत प्रचलित है मौसम के नवीनतम विश्लेषण प्राप्त सूचनाओं के आधार पर किया जाता है उसी आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है इनके आधार पर ही मौसम में परिवर्तनो को आका जाता है यह डेटा भविष्य के मौसम के बारे में अनुमान लगाने में सहायक होता है अंतरिक्ष की जानकारी हवाईजहाज अथवा समुद्री जहाज के मार्ग व  दिशा के पथ पर्दशक के रूप में उपयोगी होता है 

*मनोरंजन ( Entetainment ):

मल्टिमीडिया का उपयोग महत्वपूर्ण  रूप से फिल्मों तथा एनीमेशन को बनाने के लिए किया जा रहा है। कम्‍प्‍यूटर आज सबसे अधिक मनोंरजन करने वाले यंत्रो में एक हैं। यदि शिक्षित वर्ग में मतगणना करवाया जाए, तो मुझे लगता हैं कि लोगों का बहुमत कम्‍प्‍यूटरों को मनोरंजन के मुख्‍य के रूप में मत जाएगा। फिल्‍म-उघोग  में कम्‍प्‍यूटर से चलचित्रों में अनेक फोटोग्राफिक प्रभाव, संगीत प्रभाव, एक्‍शन प्रभाव आदि को उत्‍पन्‍न किया जाता हैं। कम्‍प्‍यूटर में मल्‍टीमीडिया (Multimedia) तकनीक की सुविधा से काल्‍पनिक दृश्‍य भी जीवं-से लगते हैं। जैसे- 3डी  स्‍टूडियो मैक्‍स (3 डी Studio Max) आदि की मदद से किया जाता हैं ।संगीतकार (Musicians) एक कम्‍प्‍यूटर जिसे इलेक्‍ट्रॉनिक सिंथेसाइजर (Electronic Synthsizer) कहते हैं, को काम में लेते हैं। यह आवाज रिकॉर्ड करता हैं तथा पुरानी  धुनों को मेमोरी (Memory) में भी देता हैं। कम्‍प्‍यूटर की सहायता से विभिन्‍न वाह्ययंत्रों की धुनें कृत्रिम रूप से तैयार की जा सकती हैं। प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष कम्‍प्‍यूटर आज  एक बड़ा मनोरंजन का साधन  है।

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