- ट्राइटियम हाइड्रोजन का रेडियोएक्टिव समस्थानिक है।
- जल हाइड्रोजन का उदासीन आक्साइड है।
- शुद्ध जल का कवथनांक 100 डिग्री C तथा हिमांक 0 डिग्री C होता है।
- शुद्ध जल एक ध्रुवीय यौगिक है।(द्विध्रुव आघूर्ण =1.85D) तथा इसका डाइलेक्ट्रिक स्थिरांक उच्च होता
है। - मिथाइल आइसो साइनेट को MIC मिक गैस कहते हैं।यह अत्यंत विषैली गैस हैं भोपाल गैस कांड 1984 में इसी गैस ने हाहाकार मचाया था।
- हाइड्रोजन पराक्साइड रेशम, ऊन पंख आदि कोमल वस्तुओं का विरंजन करने में प्रयुक्त होता है।
- पारे का उपयोग मरकरी वाष्प लैंप बनाने में होता हैं।
- हाइड्रोजन आवर्त सारणी का प्रथम तत्व है।
- 4 डिग्री C तापमान पर जल का घनत्व अधिकतम होता हैं।
- आग बुझाने के लिए कार्बन डाइऑक्ससाइड का प्रयोग किया हैं।
- हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के किर्स्टलीय अपरूप हैं।
- ईंधनों के जलने से प्राप्त कार्बन डाइऑक्ससाइड प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
- ओजोन मंडल पराबैगनी किरणों अवशोसित करके पृथ्वी के जीवो की रक्षा करता हैं।
- पेट्रोल की गाड़ी चन्द्रमा पर नहीं चल सकती क्युकी वह पर वायुमंडल नहीं हैं।
- नाइट्रस ऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड पर्यावरण में अम्ल वर्षा का प्रमुख कारण हैं।
- सोने के आभूषण बनाते समय सोने में तांबा मिलाया जाता हैं।
- पानी की स्थाई कठोरता का कारण कैल्शियम तथा मैगनेशियम के घुलित क्लोराइड तथा सल्फेट लवण होते हैं।
- पानी की अस्थाई कठोरता कैल्सियम तथा मैग्नेशियम बाइकार्बोनेटो कारण होती हैं।
- पानी की अस्थाई कठोरता उबालकर दूर किया जा सकता हैं।
- नीबू में साइट्रिक अम्ल होता हैं और इमली में टारटरिक अम्ल होता हैं।
- साधारण कांच में सोडियम पोटेसियम केल्सियम और लैड के सिलिकेट होते हैं।
- यदि साधारण कांच बनाते समय उसमे सिल्वर सलोराइड दाल दिया जय तो वह कांच फोटोक्रोमिक किस्म या स्वतः रंग बदलने वाला बन जाता।
- घरो में ईंधन के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एल.पी.जी. कहते हैं। यह ब्यूटेन तथा प्रोपेन गैस का मिश्रण होती हैं।
- किसी विधुत अपघटनी सैल के एनोड पर हमेसा ऑक्सीकरण और कैथोड पर अवकरण की क्रिया होती है।
- सोडियम एक ऐसी धातु हे जो जल पर तैरती है।
- ग्रीन हाउस प्रभाव में प्रमुख उत्तरदायी गैस कार्बन डाइऑक्साइड है।
- गंधक के अम्ल का प्रयोग मोटर कार की बैटरीयों में किया जाता है।
- क़्वार्टज प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है।अधिकतर चट्टानें इसी से बनी होती है।
- कुछ पदार्थ सूर्य के प्रकाश में रखने के बाद प्रकाश से हटाए जाने पर भी प्रकाश निकलते रहते हैं।इस घटना को स्फुरण या स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) कहते हैं।यह गुण कैल्सियम सल्फाइड में पाया जाता है।
- सबसे भरी धातु ओसियम (Os) है।
- डी.डी.टी. का पूरा नाम डाइक्लोरो डाईफिनाइल ट्राइक्लोरोएथेन है।यह एक कीटाणुनाशक दवा है।
- धातुओ की विधुत चालकता तापक्रम बढ़ने पर घटती है और तापक्रम कम करने पर बढ़ती है।
- अर्द्धचालकों की विधुत चालकता तापमान बढ़ाने के साथ बढ़ती है और तापमान घटाने पर कम होती है।
- VII A उप समूह के तत्वों (F,CI,Br,I,At) को हैलोजेन कहते हैं जिसका अर्थ है लवण बनाने वाले।
- क्लोरीन एक रोगाणुनाशी ज्वरनाशी पदार्थ है।
- एस्प्रिन तथा पेरासिटामोल ज्वरनाशी पदार्थ है।
- नाइट्रस आक्साइड (N2O) एक सामान्य निश्चेतक है।
- क्लोरोफार्म का प्रयोग भी निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
- प्रतिजैविक (Antibiotics) बैक्टीरिया, कवक तथा मोल्ड्स द्वारा उत्पन्न होते हाँ जो अन्य बैक्टीरिया के लिए विषैले होते है।
- पेंसिलिन एक उत्तम प्रतिजैविक है जो कवक से प्राप्त होता है।
- क्लोरॉफेनिको का व्यापारिक नाम क्लोरोमाइसिटिन है। इसका प्रयोग टाइफाइड, ज्वर, डायरिया, तथा पेचिस में किया जाता है। यह एक प्रभावी प्रतिजैविक है।
- रेशम तथा ऊन जान्तव प्राकतिक रेशे है। सूत, जुट तथा हैम्प वानस्पतिक प्राकृतिक रेशे है।
- बोरिक अम्ल तथा पोटेशियम परमेंगनेट प्रतिरोधी (Antiseptic) पदार्थ है।
- आयोडीन एक प्रबल जीवाणुनाशी है। आयोडीन का प्रयोग टिक्चर बनाने में किया जाता है।
- एंजाइम विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हे।
- गेमिक्सिन (C6 H6 CI 6) हेक्साक्लोरो साइक्लो हैक्सेन है। यह एक उत्तम कीटनाशी है।
- अधिकांश संक्रमण दहतु आयन एवं उनके यौगिक रंगीन होते है।
- हीमोग्लोबिन एक विशेष प्रकार की प्रोटीन हे जिसका प्रमुख कार्य फेफड़ों से आक्सीजन को रक्त धरा की सहायता से विभिन्न ऊतकों को पहुँचना है।
- कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCI4) का प्रयोग पायरिन के नाम से आग बुझाने के संयंत्रों में किया जाता है।नाइट्रोग्लिसरीन का प्रयोग डायनामाइट बनाने में किया जाता है।
- एलम (Alum) का प्रयोग चमड़े की ट्राइंग में किया जाता है।
- क्यूप्रस आक्साइड(Cu2O)कॉपर कहते है। इसका प्रयोग कांच को रंगीन बनाने में किया जाता है।
- मैग़निशियम सल्फेट (MgSo4 ,7H2o)को एप्सोम लवण कहते है।इसका उपयोग दस्तावर (Purgative ) के रूप में होता है।
- स्टैनिक सल्फाइड (SnS2) को मोसाइक गोल्ड कहते है।इसका प्रयोग पेण्ट के रूप में किया जाता है।
- मैगनिसियम हाइड्राक्साइड [ Mg (OH )2] को मिल्क ऑफ मैगनीशियम कहा जाता है। इसका प्रयोग पेट की दवाओं में किया जाता है।
- प्रोडूसर गैस में Co2 N 2 तथा H2 होती है। यह एक ईधन गैस है।
- पोटेशियम कार्बोनेट को पर्ल एश (Pearl ash ) कहते है। यह सोप बनाने में काम अत है।
- अमोनियम क्लोराइड (NH4CI) को नौसादर कहते है। यह औषधियों में काम आता है।
- कैल्सियम फॉस्फेट [ Ca 3(PO 4 )2 ] का प्रयोग टूथपेस्ट बनाने में किया जाता है।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस [(Caso 4 )2 H 2 o ] का प्रयोग हड्डी टूटने पर प्लास्टर चढाने में काम आता है।
- सिक्का धातु में 75 % कॉपर तथा 25 % निकिल होता है।
- नाइक्रोम (Nichrome ) क्रोमियम, नील तथा आयरन की मिश्र धातु है।यह हीटरों के काइल (coil) बनाने में काम आती है।
- ग्रेफाइट का प्रयोग शुष्क स्नेहक (Dry Lubricant ) के रूप में किया जाता है।
- कार्बन डाईआक्साइड पदों के लिए प्राणदायिनी गैस है।
- बादल तथा कोहरा कोलाइडी विलयन है।
- जब कोइ द्रव किसी ठोस में परिक्षेपित होकर कोलाइडी विलयन बनता है तो वह जैल कहलाता है, जैसे जैली,पनीर,मक्खन,आदि।
- जब एक द्रव दूसरे अभिसरणीय द्रव में परिस्केपित होकर कोलाइडी विलयन बनता है तो वह पायस (Emulsion ) कहलाता है; जैसे दूध।
- धुआँ वायु में कार्बन और अन्य कणो का कोलॉइडी विलयन होता है।
- फोटोग्राफिक प्लेट पर सिल्वर ब्रोमाइड तथा जिलैटिन की पतली परत चढ़ी होती है।
- हीलियम गैस हलकी होने के कारण वायुयानों के टायरों में भरी जाती है।
- हीलियम और आक्सीजन का मिश्रण गहरे समुद्रों में गोताखोरों द्वारा वायु के स्थान पर प्रयोग किया जाता है,क्योंकि अधिक दाब पर हीलियम नाइट्रोजन की अपेक्षा रक्त में कम विलेय होती है।
- दमा के रोगों को भी हीलियम और आक्सीजन का मिश्रण वायु के स्थान पर दिया जाता है।
- विज्ञापन चिन्हों में विभिन्न रंग के प्रकाश उत्पन्न करने के लिए नियॉन गैस का प्रयोग किया जाता है।
- हवाई अड्डों पर विमान चालकों को संकेत देने के लिए नियॉन लैम्प का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह प्रकाश कुहरे में अधिक चमकता है।
- आर्गन गैस विधु बल्बों में भरी जाती है क्योंकि इसकी उपस्तिथि में तन्तु ( Filament ) बहुत समय तक सुरक्षित रहता है।
- रेडॉन का प्रयोग कैंसर उपचार में किया जाता है।
- हाइड्रोजन पराक्साइड के तनु विलयंका प्रयोग कीटाणुनाशक के रूप में दाँत,कान , घाव आदि धोने में किया जाता है।
- पुराने तैल चित्रों को चकदार बनाने के लिए हाइड्रोजन पराक्साइड का प्रयोग किया जाता है।
- सोडियम हाइड्राक्साइड का प्रयोग सूती कपड़ों में चमक पैदा करने ( Marcerisation ) में किया जाता है।
- -273 C तापमान का केल्विन में मान 0 डिग्री K होता है।
- 0 डिग्री K तापमान को परम शून्य (Absolute Zero) कहते है।
- सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCo3)का प्रयोग बेकिंग पाउडर, झागदार पेय तथा अनेक दवाइयों में किया जाता है।
- पोटेशियम क्लोरेट (KCIO 3) का प्रयोग आतिशबाजी तथा कीड़े मरने की दवाई के रूप में किया जाता है।
- पोटेशियम साइनाइड (KCN) एक विष है, इसका प्रयोग सोने व चाँदी के विधुत लेपन में किया जाता है। कॉपर सल्फेट एक जहर है। इसे कीटाणुनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सिल्वर नाइट्रेट (AgNo 3 ) का प्रयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने में किया जाता है। वोटरों की अंगुली पर ऐसी का निशान लगाया जाता है।
- बुझा हुआ चुना [Ca(oOH )2 ] दीवारों पर सफेदी करने के काम आता है।
- केल्सियम कार्बोनेट (CaCO 3 ) का प्रयोग दन्त मंजन, पाउडर तथा पेस्ट बनाने में किया जाता है।
- जिंक आक्साइड (Zno ), जिनक व्हाइट अथवा चाइनीज व्हाइट के नाम से सफ़ेद पेंटों में प्रयोग किया जाता है।
- मरहम और चेहरे की क्रम बनाने में भी जिनक आक्साइड (ZnO ) का प्रयोग किया जाता है।
- जिंक सल्फाइड स्फुरदीप्त पर्दे ( Phosphorescent ) बनाने में काम आता है।
- मरक्यूरिक क्लोराइड (HgCl 2 ) का 1 % विलयन शल्यकर्म औजारों के निजर्मीकरण (Sterilisation ) में प्रयोग किया जाता है।
- एल्युमीनियम का प्रयोग सिगरेट,साबुन, मिठाई,लपेटने के लिए पतली परतों के रूप में होता है।
- प्रथम-बी समूह के तत्वों को सिक्का धातु कहते है। ( Cu ,Ag ,Au )
- मरकरी को कविक सिल्वर कहा जाता है।
- फॉर्मिक अम्ल लाल चीटियों से प्राप्त किया जाता है।
- सर्वाधिक वैधुत ऋणात्मत तत्व फ़्लोरिन है।
- सर्वाधिक विधुत धनात्मक तत्व फ्रेंशियम है।
- सर्वाधिक विधुत चालकता वाला तत्व सिल्वर होता है।
- सर्वाधिक विधुत चालक अधातु ग्रेफाइट होता है।
- उच्चतम इलेक्ट्रॉन बंधुता वाला तत्व क्लोरीन होता है।
- प्लेटिनम को सफ़ेद स्वर्ण कहते है।
- रेडॉन गैसीय तत्वों में सबसे भरी तत्व है।
- ऐस्टेटिन ठोस अधातुओं में सबसे भरी तत्व है।
- सबसे प्रवल अपचायक लिथियम होता है।
- परमाणु बेम नाभिकीय विखंडन पर आधारित है।
- ठोस कार्बन-डाइआक्साइड को शुष्क बर्फ कहते है।
- क्षार ऐसा भस्म (base) जो जल में विलेय होता है।
- लिथियम सबसे हल्का धात्विक तत्व है।
- भस्म ऐसा पदार्थ जो अम्ल से क्रिया करके लवण तथा जल बनाता है। यह एल्क्ट्रॉनदाता होता है।
- एमोफर्स ऐसा पदार्थ जिसका निश्चित रूप और आकर न हो।
- उभयधर्मी ऐसा पदार्थ जिसमें अम्ल तथा भस्म दोनों के गन विधमान रहते है।
- अमलगम किसी धातु की मरकरी के साथ मिश्र धातु को अमलगम कहते है।
- एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं की संख्या को एवोगाद्रो संख्या कहते है।
- कार्बोहाइड्रेट कार्बनिक यौगिक जिनका सामान्य सुत्र Cn(H2O) होता है। ये भोजन का मुख्य अंग होते है।
- प्रोटीन नाइट्रोजनी यौगिक जो प्राणी तथा वनस्पति अंगो के प्रमुख रचक होते है। ये अमीनो - अम्ल से बनते है।
- ऐसा पदार्थ जो किसी रासायनिक क्रिया की दर को परिवर्तित करता है ,उत्प्रेरक कहलाता है।
- दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात से बना पदार्थ यौगिक कहलाता है।
- भौतिक परिवर्तन में कोई रासायनिक क्रिया नहीं होती अर्थात नया पदार्थ नहीं बनता।
- तत्वों की आवर्त सारणी ( दीर्घ ) में 18 समूह तथा 7 आवर्त है।
- परमाणु क्रमांक की खोज वैज्ञानिक मोजले ने की थी। परमाणु संख्या किसी तत्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटानों अथवा इलेक्ट्रानो की संख्या के बराबर होती है।
- मेण्डलीफ की आवर्त सरणी की समूह संख्या उस समूह में उपस्थित तत्वों की संयोजकता को प्रदर्शित करती है।
- प्रथम-ए समूह के तत्वों की क्षार धातुएं कहते है। ( Li ,Na ,K ,Rb ,Cs ,and Fr )
- केवल हाइड्रोजन परमाणु ही ऐसा परमाणु है जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं होता है।
- गोल्ड प्लेटिनम मरकरी तथा सिल्वर उत्कृष्ट धातुएं है।
- केवल हाइड्रोजन एक ऐसा तत्व हैं जिसके सभी तीनों संस्थनिको को अलग-अलग नाम दिए गए है।(ड्यूटेरियम, प्रोटियम तथा ट्राइटियम )
- अल्फ़ा कण (a) हीलियम नाभिक के समकक्ष होता है।
- बीटा कण (B) इलेक्ट्रॉन के समकक्ष होता है।
- हीरा प्रकृति में पाया जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ होता है।
- पोलोनियम (Po ) के सर्वाधिक समस्थानिक( 27 समस्थानिक ) होते है।
- आयरन सल्फाइड ( FeS2 ) को झूठा सोना कहा जाता है।
- कार्बन ऐसा तत्व है जिसमें सबसे अधिक श्रृंखलन की प्रवत्ति होती है।
- मार्श गैस का प्रमुख रेचक मीथेन ( CH4 ) है।
- आक्सी-एसिटिलीन ज्वाला धातुओं को काटने तथा वेल्ड करने के काम आती है।
- पेट्रोल को खनिज तेल, रॉक तेल तथा क्रूड तेल भी कहते है।
- एसिटिक अम्ल के 10% विलयन को सिरका कहते है।
- शुद्ध सेल्यूलोज बनता है।
- फ्रिऑन ( CF2 C 12 ) एक अति प्रचलित प्रशीतक है।
- रेक्टिफ़ायड स्पिरिट ( Rectified Spirit ) में 95.6 % इथाइल एल्कोहल तथा 4.4 % जल होता है।इसे कमर्शियल एल्कोहॉल भी कहते है।
- ग्रेफाइट को पेन्सिल लेड भी कहते है।
- स्टेनलेस स्टील में 73% आयरन 18 % क्रोमियम 1 % कार्बन और 8 % निकिल होता है।
- चाय तथा काफी में कैफीन नमक प्यूरिन पाया जाता है जो स्फूर्ति का अनुभव करता है।
- दुध मे जल ,वसा ,शर्करा के अतिरिक्त कैफीन नामक फॉस्फोप्रोटीन भी पाया जाता हैं।
- प्रोटीन पाचन का अंतिम उत्पाद अमीनो अम्ल होता हैं।
- भारी जल परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में प्रयुक्त हैं।
- जब तेलों को निकिल फॉर्मेट की उपस्थिति 150 डिग्री -180 डिग्री C पर गरम करके हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती हैं तो दानेदार ठोस वनस्पति घी प्राप्त हैं।
- परम शून्य तापमान पर गैसों का आयतन शून्य हो जाता है अथवा अणुओं के सभी प्रकार की गति शून्य हो जाती है।
- भरी जल का कवथनांक 101*.42 *C तथा हिमांक 3.8 *C होता है।
- भरी जल नाभिकीय रिक्टर में मंदक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- शुद्ध जल का pH 7 होता हैं।
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