हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ( Hardware and Software )
दोस्तों जैसा हमने आपको पिछली पोस्टो  में कम्प्यूटर का परिचय , कम्प्यूटर से संबंधित शब्द का संक्षिप्त नाम ,कम्प्यूटर से संबंधित तथ्य  ,कंप्यूटर इनपुट और आउटपुट ( devices ) क्या है ?, के बारे में बता चुके हैं  इस बार हम आपको हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बारे में बताने जा रहे कोशिश रहेगी हैं आपको मेरी पोस्ट पसंद आये  अपना साथ बनाये रखे धन्यवाद 🙏

हार्डवेयर ( hardware ) : 
कम्प्यूटर में दो भाग होते है, पहला हार्डवेयर कहलाता है ,दूसरा सॉफ्टवेयर  कंप्यूटर का भौतिक स्वरुप अर्थात जो हमें दिखाई देता है या जिसे हम छू कर महसूस कर सकते हैं हार्डवेयर होता है जैसे इसके इलेक्ट्रिकल,इलेक्ट्रॉनिक एवं मेकेनिकल उपकरण आदि।  इसी प्रकार इनपुट, आउटपुट, प्रोसेसिंग यूनिट, स्टोरेज यूनिट आदि हार्डवेयर में आते हैं । उदाहारण . आई. सी. , माइक्रो प्रोसेसर, की-बोर्ड , माउस , फ्लॉपी डिस्क, मॉनिटर ( केथोड-रे-ट्यूब ) ( सीआरटी ) एवं लिकविड  क्रिस्टल डायोड, ( एलसीडी ) आदि |
                                            हार्डवेयर कंप्यूटर के भौतिक भाग होते है जिन्हें हम छु सकते है जो एक निश्चित कार्य करते है, जिसके लिए उन्हें बनाया गया है जैसे-कीबोर्ड ,माउस ,मॉनीटर ,सी.पी. यू.प्रिंटर ,प्रोजेक्टरआदि . इसके विपरीत सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का समूह है जो इन हार्डवेयर के कार्यों को निर्धारित करता है जैसे- वर्डप्रोसेसिंग ,ऑपरेटिंग सिस्टम आदि आते है, जो हार्डवेयर के साथ  इंटरफ़ेस  करते हैं| यदि हार्डवेयर की तुलना कंप्यूटर के शरीर से की जाती है तो सॉफ्टवेयर की तुलना कम्प्यूटर के दिमाग से की जाती है| जिस प्रकार दिमाग के बगैर मानवीय शरीर बेकार हैं ठीक उसी प्रकार सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर का कोई अस्तित्व नहीं है| उदाहरण के लिए कीबोर्ड ,माउस ,इंटरनेट ,प्रिंटर आदि का उपयोग करते है इन सबको को चलाने के लिए भी सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है|
सॉफ्टवेयर  (software  ) :-
कंप्यूटर  को दी जाने वाली सभी सूचनाएँ  सॉफ्टवेयर होती हैं।  यह एक विस्तृत कार्यक्रम या कार्यप्रणाली होती  है या अन्य शब्दों में यह निर्देशों की एक स्पष्ट तथा कर्मबद्ध श्रृंखला होती है जिनके द्वारा किसी कार्य विषय को किया जा सकता है।  ये कार्यक्रम कोडेड निर्देशों के रूप में लिखे जाते हैं।
                                                     सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर का वह भाग  है जिसको हम बस देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं,सॉफ्टवेयर का निर्माण कम्प्यूटर पर कार्य करने को सरल बनाने के लिये किया गया है,आज के समय में आवश्यकताओ के अनुरूप सॉफ्टवेयर का निर्माण कराया जाता है, जैसा काम वैसा सॉफ्टवेयर। सॉफ्टवेयर को बडी -बडी कंपनियों में उपयोगकर्ताओं की जरूरत को ध्‍यान में रखकर सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर्स द्वारा तैयार कराया जाता हैं, इसमें से कुछ मुफ्त में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये दाम  देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का उपयोग करते है।  कम्प्यूटर में कुछ भी कार्य करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर का होना आवश्यक है। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर को तीन भागो में विभाजित करता है | 
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर
  • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर 
(1). सिस्टम सॉफ्टवेयर:-
सिस्टम सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को उसके सहायक हार्डवेयर मॉनिटर प्रिंटर मॉडेम ड्राइव आदि के साथ नियंत्रण करता है तथा उसकी सहायता करता हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो हार्डवेयर को प्रबंध एवं नियंत्रण करता है ताकि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अपना कार्य पूरा कर सके | यह कम्यूटर सिस्टम का आवश्यक भाग होता है आपरेटिंग सिस्टम इसका स्पष्ट उदाहरण है |
           “सिस्टम सॉफ्टवेयर वह है जो सिस्टम को नियंत्रित और व्यवस्थित रखने का कार्य करते है”
यदि सिस्टम सॉफ्टवेयर को Non volatile storage जैसे इंटिग्रेटेड सर्किट (IC) में Store किया जाता है, तो इसे सामान्यत: फर्मवेयर का नाम दिया जाता है संक्षेप में सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का एक समूह है। सिस्टम सॉफ्टवेयर कई प्रकार के होते है जैसे- इनमे से कुछ इस प्रकार हैं -
*ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system )
*प्रोग्रामिंग भाषाएँ ( programming Languages )
*सब रूटीन ( Sub Routine )
*यूटिलिटी प्रोग्राम ( Utility Programes )
*डाइग्नोस्टिक रूटीन्स ( Diagnostic Routines )
*भाषा अनुवादक या लैंग्वेज ट्रांस्टलेटर्स  ( Language Translators )
ऑपरेटिंग सिस्टम  (  Operating System  ) :-
ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा समन्वित प्रोग्राम है जो सीपीयू के कार्यो को संचालित करता है, कंप्यूटर के निवेश निर्गम पर नियंत्रण रखता है, प्रोग्रामिंग भाषा का अनुवाद करता है तथा उसी प्रकार के अन्य कार्यो में सहयोग देता है। ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जिसे हम  शॉर्ट में हम ओ.एस.भी कहते हैं। एक तरह से ये कंप्यूटर में आत्मा की तरह ही होता है. जिसके बिना कम्प्यूटर बिलकुल काम नहीं कर सकता। यह कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच सभी कार्यो का संचालन करता है। यह हार्डवेयर और उयोगकर्ता अर्थात हमारे बीच एक प्रकार का इंटरफ़ेस होता है जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है। 
                                        यूटिलिटी प्रोग्राम, सब रूटीन, कम्पाइलर्स आदि ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतरगर्त आते हैं।  इन्हें सहायक भंडारण माध्यम जिसे समान्यतः हार्डडिस्क कहा जाता है. इसमें स्थायी तौर से संचित किया जाता है। प्रत्येक प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक प्रोग्राम को तीव्रता से हार्डडिस्क से सीपीयू में स्थानांतरित किया जा सकता है।
“यूटिलिटी प्रोग्राम वहसॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को रिपेयर कर कम्प्यूटर की कार्यकुशलता व निपुणता को बढ़ाते है तथा उसे और कार्यशील व्यावहारिक बनाने में मदद करते हैं। ”
 यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को सर्विस प्रोग्राम  के नाम से भी जाना जाता हैं| यह एक प्रकार का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है इसे विशेष रूप से कंप्यूटर हार्डवेयर ,ओपरेटिंग सिस्टम या एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर  को व्यवस्थित करने में सहायता हेतु डिजाईन किया गया है। विभिन्न प्रकार के यूटिलिटी सॉफ्टवेयर उपलब्ध है जैसे-,Disk Defragmenter, Virus Scanner, DiskCleanup, SystemProfilers, Antivirus ,ScanDisk ,DiskChecker,  DiskCleaner इत्यादि। 
ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित कार्य करते हैं:-
1.यह एप्लीकेशन प्रोग्राम को मुख्य मेमोरी में  लोड करता है, फिर सभी हार्डवेयर इकाइयों से प्रोग्राम के                    निर्देशनुसार कार्य करवाता है। 
2.यह प्राथमिकता के आधार पर कार्यों का कर्म निर्धारित करता है। 
4.यह एक ही समय में अनेक उपयोगकर्ताओं के लिए एप्लिकेशन प्रोग्राम के अनुक्रमण  तथा क्रियान्वयन को              संभाल सकता हैं ।
3.यह तंत्र  सुरक्षा का प्रबंध करता है।  
5.यह कंप्यूटर की प्रत्येक इकाई के लिए प्रत्येक उपयोगकर्ता द्वारा प्रयुक्त समय की मात्रा का हिसाब रख सकता  है -सीपियु , द्वितीयक भण्डारण, निवेश, निर्गम उपकरण। 
 एम.एस  डॉस, विण्डोज़ 95 से विण्डोज़ 10, विण्डोज़ एक्सपी, यूनिक्स विण्डोज़ एनटी, एंड्राइड ऑपरेटिंग               सिस्टम आदि के उदहारण  है। 
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं :– Characteristics of Operating system
*कम्प्यूटर से कनेक्टेड सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइस को ऑपरेटिंग सिस्टम ही कण्ट्रोल करता है,ये उपभोक्ता और हार्डवेयर के बिच इंटरफ़ेस के रूप में काम करता है ,मतलब हमारे द्वारा किये जाने वाले कार्यो को जब कीबोर्ड और माउस से हम इनपुट करते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम इसे कण्ट्रोल करता है और फिर इसे आउटपुट डिवाइस के  जरिये हमें शो कर देता है। 
*अगर हम अपने डाटा को सुरक्षा के साथ रखना चाहते हैं तो ये हमें सिक्योरिटी भी देता है. इसके लिए ये हमें बहुत     सारे फीचर्स भी देता है। 
*जितने भी सॉफ्टवेयर होते हैं उन्हें इनस्टॉल करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का होना बहुत जरुरी है। 
*ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत सारे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक ग्रुप होता है.जो आधार बनाता है जिसमे दूसरे प्रोग्राम रन    कर सकते हैं। 
ट्रांसलेटर :-
लैंग्वेज ट्रांसलेटर या लैंग्वेज प्रोसेसर, वे असेम्ब्लर, कम्पाइलर या अन्य रूटिंन होते है जो एक लैंग्वेज में डेटा  लेकर उसे अन्य लैंग्वेज के समानार्थी रूप में बदल देते है।  ट्रांसलेटर, सोर्स लैंग्वेज के डेटा  को  एक से अधिक मशीन इन्फॉर्मेशन तैयार कर उस निर्देशित किये गए कार्य को करता है। 
ट्रांसलेटर के निम्नलिखित रूप हैं  -
1. असेम्ब्लर :-इस प्रोग्राम का उपयोग असेम्बली लैंग्वेज प्रोग्राम को मशीन कोड़ में बदलने के लिए किया। प्रत्येक       मशीन इंस्ट्रक्शन के लिए एक सोर्स कोड इंस्ट्रक्शन होता है।  इसमें प्रोग्राम रिजल्ट उसी दशा में आता है जब           असेम्ब्ली प्रोसेस पूर्ण हो जाती है।  
2. कम्पाइलर :-कम्पाइलर है लैंगवेज में लिखे प्रोग्राम को आब्जेक्ट प्रोग्राम में बदलता है।  यह प्रोग्राम सामान्यतः          एक डिस्क या दूसरे स्टोरेज मीडिया में होता है।  जब एक प्रोग्राम को कम्पाइल  यह दूसरे प्रोग्राम्स की तुलना में        अधिक जटिल होते है। 
3. एंटरप्रीटर:- एंटरप्रीटर ट्रांसलेटर का ही दूसरा रूप है।  यह हाई लेवल लैंग्वेज को मशीन लैंग्वेज में बदलता है          परन्तु कम्पाइलर के विपरीत यह स्टेटमेंट को एक प्रोग्राम में बदल देता है एवं  स्टेटमेंट को शीघ्रता से एक्जिक्यूट     करता है।  यदि एक प्रोग्राम में किसी प्रकार की कोई गलती सामने आती है तो यह प्रोग्राम हैंग  हो जाता है और         त्रुटि सन्देश मॉनिटर पर प्रदर्शित होता है।  
(2). एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर :-
ये सॉफ्टवेयर  द्वारा दिए गए आदेशों को निष्पादित करने  है. एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को कार्य की प्रकति एवं  उपयोग  के आधार पर डेवलप किया जाता है। स्वयं द्वारा तैयार किये जा सकते हाँ , सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट एवं  सॉफ्टवेयर विक्रेताओं से कार्य किये जा सकते हैं। इन्हे उपभोक्ताओ  की विशिष्ट आवयश्यकताओ और समयस्यायो को  ध्यान  रखते हुए तैयार किया जाता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का एक उपश्रेणी है जो उपयोगकर्ता द्वारा इच्छित काम को करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं|
"एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर होते है जो उपयोगकर्ता तथा कम्प्यूटर को जोड़ने का कार्य करते है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है यदि कम्प्यूटर में कोई भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर न हो तो हम कम्प्यूटर पर कोई भी काम नहीं कर सकते है एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर सिर्फ एक डिब्बा  मात्र हैं| एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरके अंतर्गत कई प्रोग्राम आते है जो निम्नलिखित हैं - ,MS Excel, MS Access ,MS Outlook ,MS Paint MS word ,MS PowerPoint , MS store ,  MS office . इत्यादि। 
                    बैंक या किसी व्यवसाय विशेष द्वारा अपनी विश्स्त आवश्कताओं  बाजार में उपलब्ध सॉफ्टवेयर को सीधे प्रयोग नहीं किया ाजता है. इन परिस्थितियों में सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट संगठनों  आववश्यता अनुशार  करवाया जा सकता है।   सॉफ्टवेयर को टेलर में सॉफ्टवेयर कहते हाँ।  यह सॉफ्टवेयर काफी महंगे होते है. एवं  उपयोगकर्ता संस्थाओं द्वारा दिशानिर्देशों में समय- समय पर किये गए बदलावों के आधार पर इन सॉफ्टवेयर को अपडेट करना होता है। 
(3) सामान्य  उद्देशीय सॉफ्टवेयर :-
यह सॉफ्टवेयर अनेक व्यवसायिक,वैज्ञानिक एवं व्यक्तिगत उपयोगों हेतु ढांचा ( स्ट्रक्टर ) प्रदान करता है।  स्प्रेडशीट,वर्ड  प्रोसेसर, डेटा  बेस, केड  आदि सभी इसी श्रेणी में  है।  कई समान्य उदेशीय सॉफ़्टवेयरों को एक पैकेज बेचा जाता है। इनके साथ सन्दर्भ पुस्तिकाएं, की-बोर्ड टेम्पलेट्स आदि भी प्रदान किये जाते हैं ,फिर  एप्लिकेशन का निर्माण उपयोगकर्ता पर  निर्भर करता है। 
फर्म वेयर :-
फर्मवेअर  वे सॉफ्टवेयर होते हाँ जिन्हे एक विशेष नियंत्रण भंडारण तरनत में सीपियु  में रखा जाता है। ये सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत आते हाँ।  इन्हें माइक्रो प्रोग्राम भी कहते हाँ।   कम्प्यूटर  हार्डवेयर का ही हिस्सा होती है. एवं  कम्प्यूटर  उत्पादक द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।  उपयोगकर्ता को इन चिप्स के अवयवों में किसी भी प्रकार का बदलाव करने की इजाजत नहीं होती है।  फर्मवेयर विशेष प्रोग्राम आदेशों की श्रृंखला।   मौलिक गतिविधियाँ  जैसे जोड़ना, गुना करना आदि एक कम्प्यूटर  में हार्डवेयर सर्किट द्वारा किय जाते  है।  इन सभी  आधारभूत कार्यों को माइक्रो प्रोग्राम के रूप   एकजुट  किया जाता है जिससे उच्चस्तरीय  गतिविधियाँ की जा सकें।  इन माइक्रो प्रोग्राम्स को फर्मवेयर कहा जाता  अत्यंत निचले स्तर की  गतिविधियों  को व्यवहार में लाते हैं तथा अतिरिक्त हार्डवेयर विकल्प हो जाते हैं। 
लाइव वेयर :-
लाइव वेयर वे प्रोग्राम होते है जो कम्प्यूटर सिस्टम को शुरू करते ही कम्प्यूटर  मेमोरी में लोड हो जाते हैं।  ये मेमोरी आधरित प्रोग्राम होते हैं जैसे -एन्टी वायरस  प्रोग्राम आदि।  

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